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रंग-बिरंगे फूल खिले हैं
मन का कोना है क्यों सूना
लाख जतन कर लो माली
सूखी बगियाँ लुभा नहीं पाती।
दुनिया तो है रंग-बिरंगी
इनसान बन बैठा क्यों कठपुतली
हाथ डोर तो, जोर से पकड़े
फिर भी खुल जाती क्यों मुट्ठी
रंगों को कमजोर न समझे
जीवन में है इसका बड़ा मेल
खुले मन से मित्र बना तो
हो जाओगे सबसे अनमोल।
इंद्रधनुष सा रंग साजे तो
पलभर में देता सुखद एहसास
आँखों में पलते सपने
रंगों से कर देते बरसात।
रंगों का है खेल निराला
धूप कहीं, कभी घनी छाया
रंग भेद ने खूब रुलाया
रंगों ने है सबको मिलाया।
—इसी संग्रह से
शिक्षा : एम.ए. (द्वय) हिंदी और भोजपुरी।
विधा : कहानी, लघु कविता, हाइकू, पिरामिड एवं बाल-साहित्य।
उपलब्धि : विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में हिंदी और भोजपुरी में समयानुसार रचनाएँ प्रकाशित।
विशेष योग्यता : आकाशवाणी पटना और दूरदर्शन से हिंदी एवं भोजपुरी में स्वमुख स्वरचित रचनाओं का प्रसारण।
प्रकाशित पुस्तकें : ‘दर्पण’ (एकल कहानी-संग्रह), साझा संकलन विभिन्न विधा में दस से भी अधिक।
शीघ्र प्रकाश्य : कहानी-संग्रह (एकल) ‘सुगंधा’, लघुकथा-संग्रह (एकल) ‘कस्तुरी’, भोजपुरी कहानी-संग्रह (एकल) ‘सुकन्या’।
सम्मान : ‘नारीसागर सम्मान’, ‘तेजस्विनी सम्मान’, ‘अंतराशब्द-शक्ति सम्मान’, ‘साहित्य सारथी सम्मान’, ‘साहित्य सम्मेलन विशिष्ट सेवा सम्मान’, ‘अंतरराष्ट्रीय युवा सम्मान’, ‘महंथ बचाऊ बाबा स्मृति सेवक सम्मान’, ‘भोजपुरी साहित्य सेवा प्रेरणा सम्मान’ एवं विभिन्न क्षेत्रों में अनेक सम्मान प्राप्त।
संप्रति : साहित्य सृजन।
संपर्क : रामनगरी, सेक्टर-1, ‘सूर्यमुखी वाटिका’, आशियाना नगर, पटना-800025 (बिहार)।
दूरभाष : 09835265651
इ-मेल : klkm.punamjee@gmail.com