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"समाचार संकलन के क्षेत्र में इंटरव्यू का बड़ा महत्त्व है। हिंदी पत्रकारिता ने अंग्रेजी के 'इंटरव्यू' शब्द को अपना लिया है, हालाँकि इसके समानार्थक पारिभाषिक शब्द 'साक्षात्कार' और 'भेंटवार्त्ता' भी इस्तेमाल हो रहे हैं। इनमें 'भेंटवार्त्ता' शब्द अधिक आकर्षक और अर्थवान प्रतीत होता है। इंटरव्यू वास्तव में एक साथ कला, शिल्प और विज्ञान (Art, Craft and Science) तीनों है। बताया जाता है कि पहला इंटरव्यू 1836 में 'न्यूयॉर्क हेराल्ड' में छपा था। प्रश्नोत्तर के रूप-विधान में इंटरव्यू विधा की शुरुआत 1859 में मानी जाती है। विचित्र बात यह है कि लंबे समय तक इंटरव्यू विधा को पत्रकारिता में उचित स्थान नहीं मिल पाया था, लेकिन धीरे-धीरे हालात बदलते गए।
अब यह पत्रकारिता का एक अनिवार्य व नियमित अंग बन गया है। इंटरव्यू लेने से पहले काफी मेहनत करनी होती है। सवाल करते समय पूरे संदर्भों को ध्यान में रखना चाहिए और अपने विवेक का इस्तेमाल करना चाहिए। इस पुस्तक में इंटरव्यू कला से संबंधित मूलभूत जानकारियाँ बारीकी के साथ दी गई हैं। पुस्तक के द्वितीय खंड में समाज के विभिन्न वर्गों, राजनेताओं, खिलाड़ियों, कलाकारों, साहित्यकारों तथा आमजन से लिये गए इंटरव्यू दिए गए हैं, जिससे इस पुस्तक की उपयोगिता और रोचकता बढ़ गई है। आशा है, यह पुस्तक पत्रकारिता के उन छात्रों और नए पत्रकारों के लिए उपयोगी सिद्ध होगी, जो इंटरव्यू कला में प्रवीणता प्राप्त करना चाहते हैं।"