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अनुक्रम
1. स्वतंत्र भारत की आर्थिक पत्रकारिता — Pgs. 13
2. आर्थिक पत्रकारिता का आशय — Pgs. 15
3. स्वतंत्रता के पूर्व की हिंदी पत्रकारिता में आर्थिक मुद्दे, उनकी प्रस्तुति, भाषा, विषय-वस्तु—संक्षिप्त विश्लेषण — Pgs. 20
4. 1947 से 1956 के कालखंड में प्रमुख आर्थिक मुद्दों, प्रमुख प्रवृतियों, भाषा और प्रस्तुति का विश्लेषण — Pgs. 32
5. 1956-66 कालखंड में आर्थिक पत्रकारिता — Pgs. 88
6. आर्थिक पत्रकारिता—1966-1984 — Pgs. 158
7. आर्थिक पत्रकारिता—1984-85 के बाद — Pgs. 225
8. विरासत से वर्तमान तक — Pgs. 263
जन्म : 30 सितंबर, 1966, आगरा।
शिक्षा : एम.कॉम., पी-एच.डी.।
रचना-संसार : ‘नेकी कर अखबार में डाल’, ‘लव पर डिस्काउंट’, ‘बालम तू काहे ना हुआ एनआरआई’, ‘नेता बनाम आलू’, ‘व्हाइट हाउस में रामलीला’, ‘मर्सीडीज घोड़े बनाम 800 सीसी घोड़े’ (व्यंग्य-संग्रह); नवभारत टाइम्स, दैनिक हिंदुस्तान, राष्ट्रीय सहारा, दैनिक ट्रिब्यून, आई नेक्स्ट समेत कई अखबारों में नियमित व्यंग्य-कॉलम लेखन; करीब दो हजार व्यंग्य-लेख प्रकाशित। सब टीवी, सहारा न्यूज, जी न्यूज पर व्यंग्य-पाठ।
पुरस्कार-सम्मान : ‘आर्थिक पत्रकारिता’ पुस्तक पर ‘भारतेंदु हरिश्चंद्र पुरस्कार’, हिंदी अकादमी दिल्ली का ‘हास्य-व्यंग्य सम्मान’, ‘काका हाथरसी पुरस्कार’, ‘व्यंग्यकार के.पी. सक्सेना सम्मान’।
संप्रति : दिल्ली विश्वविद्यालय के महाराजा अग्रसेन कॉलेज के कॉमर्स विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर।