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"संसद् की अस्थिरता आज एक समस्या है और इसके कुपरिणाम भी हैं, जिन्हें नकारा नहीं जा सकता। किंतु इसके कारणों पर विचार किए बिना समस्या का निदान खोजना सतही और मनोवादी (subjectivism) विचार होगा।
संसद् की अस्थिरता को एक शोध विषय के रूप में विश्लेषण करने संबंधी शोध साहित्य का अभाव सा है, कोई प्रामाणिक साहित्य शायद ही उपलब्ध हो। हाँ, संसदीय बहसों में ऐसे सवाल जरूर उठते रहे हैं और उनके निदान के रूप में ऊपर वर्णित तर्क दिए जाते रहे हैं। दल- बदल विरोधी एक कानून भी है तथा संसद् को सुचारु रूप से चलाने, उसके फैसलों को लागू करने संबंधी संसदीय तंत्र से लेकर नौकरशाही के एक ढाँचे संबंधी साहित्य जरूर उपलब्ध है। किंतु इस साहित्य की स्थापना का कारण यह है कि क्षेत्रीय दलों की बहुलता ही इस अस्थिरता का मूल कारण है और संसद् की अस्थिरता के कारण विकास अवरुद्ध होता है।
इस पुस्तक का मूल ध्येय यह पता लगाना है कि क्षेत्रीय दलों के कारण संसद् में अस्थिरता आती है, जिसके कारण विकास कार्यों में बाधा आती है या असंतुलित वर्गीय और क्षेत्रीय विकास को संसद् द्वारा नहीं रोक पाने के कारण क्षेत्रीय दलों का निर्माण होता है और संसद् की अस्थिरता बढ़ती जाती है ?"
जन्म : 6 फरवरी, 1965 को बक्सर (बिहार) के कुसुरूपा गाँव में (स्व. श्रीमती चंद्रतारा देवी एवं
श्री पारसनाथ पाठक की चौथी संतान)।
शिक्षा : बी.एच.यू., वाराणसी से कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद पर शोध उपाधि।
गतिविधियाँ—
• 1981 में (एम.वी. कॉलेज, बक्सर) छात्र संघ अध्यक्ष का चुनाव लड़े।
• 23 मार्च, 1984 बी.एच.यू. से स्वर्ण मंदिर तक शांति यात्रा।
• 1993 में ‘बिहार में पंचायत’ पर अध्ययन, ए.एन. सिन्हा स.अ. संस्थान, पटना।
• 1994 में श्री मुलायम सिंह यादव ने बिहार समाजवादी पार्टी का महासचिव बनाया।
• फरवरी 1996 में मधु लिमये के साथ राष्ट्रीय युवा सम्मेलन, फिक्की, नई दिल्ली।
• 1997 से ‘आसा’ की गोष्ठियों का प्रारंभ श्री उदय नारायण चौधरी के साथ।
लेखन : ‘कर्पूरी ठाकुर और समाजवाद’।
संपादन : ‘विकसित बिहार की खोज’ (मुख्यमंत्री श्री नीतिश कुमार के अभिभाषण)।
(क) ‘गरीबी उन्मूलन में जनप्रतिनिधियों की भूमिका’ एवं (ख) ‘सदन में जननायक कर्पूरी ठाकुर ः (प्रश्नोत्तर खंड) भाग1’ बिहार विधानसभा सचिवालय, पटना (संपादन)।
दूरभाष : 09430951565
इमेल : narendrapathak1965@gmail.com