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प्रस्तुत कहानी-संग्रह के केंद्र में ऐसे लोग हैं, जिन्होंने कठिनाइयों और अव्यवस्था के बीच आनंद ढूँढ़ने का प्रयास किया और अपनी जिंदगी को खूबसूरती का असली जामा पहनाया। इन्होंने शारीरिक दुर्बलताओं और कठिनाइयों से गुजरते हुए विस्मयकारी कार्य करके अपनी जिंदगी को मूल्यवान और सार्थक बनाया है। विश्व के मानचित्र में ऐसे नाम अवस्थित हैं, जिनका जीवन अजीब मोड़ों से गुजरा है। विकलांगता, निर्धनता, संघर्ष-दर-संघर्ष, तनाव या अवसाद की परिस्थितियाँ उनके अनुकूल नहीं रहीं, किंतु उन्होंने अपने मनोबल, आत्मविश्वास और साहस से विषम परिस्थितियों में अपने को ढालकर जीवन को आश्चर्यजनक आयाम दिए हैं। उनके हौसलों के आगे आदमकद आपदाएँ बौनी हो गई हैं। ऐसे लोगों ने अद्भुत कार्य किए हैं, जिनसे खुद की ही नहीं, औरों की जिंदगी में भी प्रकाश आलोकित हुआ है। अरे नौजवानो! उठो, उन महापुरुषों की जिंदगी में झाँको, उनके प्रसंगों को अपनी जिंदगी से जोड़कर अपने जीवन को सफलता के शिखर तक ले जाने का प्रयत्न करो। ‘असंभव कुछ भी नहीं’ कृति पाठकों को प्रेरित करके सफलता के पथ पर अग्रसर होने का एक माध्यम है।
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अनुक्रम
भूमिका —Pgs. 5
1. नेत्रहीनों का मसीहा —Pgs. 9
2. अद्भुत नारी —Pgs. 13
3. कोई असमर्थ नहीं —Pgs. 19
4. साहस की प्रतिमा —Pgs. 22
5. पैरों से लिखनेवाला —Pgs. 25
6. अपाहिज जज —Pgs. 29
7. दिव्यांग पर्वतारोहिणी —Pgs. 33
8. वृद्ध की उड़ान —Pgs. 36
9. नेत्रहीन दार्शनिक —Pgs. 39
10. माँ की साधना —Pgs. 42
11. नृत्य मयूरी —Pgs. 47
12. काँटों में खिला फूल —Pgs. 51
13. अंधकार में चमकता जीवन —Pgs. 56
14. मन की विजय —Pgs. 61
15. दृष्टिहीनता की पराजय —Pgs. 67
16. पौधों का उपहार —Pgs. 70
17. अद्भुत साहसी —Pgs. 74
18. मन की शक्ति —Pgs. 79
19. दिल के रोगी का साहस —Pgs. 85
20. असंभव कुछ भी नहीं —Pgs. 90
डॉ. रामसिंह
जन्म : 15 जुलाई, 1934 को नगला पांडव, जनपद-एटा (उ.प्र.) में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी, समाजशास्त्र, इंग्लिश), पी-एच.डी. (आगरा विश्वविद्यालय)।
प्रकाशन : ‘ब्रज का देवपरक लोक साहित्य एवं संस्कृति’ (शोध), ‘जाहरपीर’, ‘दिव्यात्मा’, ‘ईश्वर कहाँ गया’ (उपन्यास), ‘क्रांतिदूत मुलायम सिंह’, ‘अमीर खुसरो’, ‘अशफाकउल्ला खाँ’ (जीवनी), ‘चंद्रशेखर आजाद’, ‘ताज महल’, ‘रिटायरमेंट के बाद सुखी जीवन’ (खंड काव्य), ‘श्याम तेरी बंसी बजे धीरे-धीरे’ (ब्रज के कृष्णपरक लोक गीतों का संकलन), ‘बुढ़ापा विज्ञान’, ‘बहनों से दो बातें’, ‘The Way of Smart Living’, ‘Taj Mahal’ (A Ballad in English), ‘Life after Retirement’। अमीर खुसरो फाउंडेशन के अध्यक्ष रहे। राजनैतिक एवं सामाजिक चेतना के अनेक लेख, ऑल इंडिया रेडियो पर अनेक वार्त्ताओं का प्रसारण। सृजन के साथ-साथ शिक्षा एवं सामाजिक क्षेत्र में भी सक्रिय रहे।
स्मृतिशेष : 10 दिसंबर, 2017