₹300
बराक ओबामा के अमेरिका के राष्ट्रपति बनते ही पूरे विश्व में एक आशावाद का संचार हो गया। इसका कारण था समाज के हर अंग के प्रति उनका चिंतन और सोच। उनकी मान्यता है कि प्रत्येक बच्चे को अच्छी शिक्षा मिलनी चाहिए-और यह केवल एक हवाई वादा बनकर ही नहीं रह जाना चाहिए; सभी बच्चे कॉलेज की पढ़ाई करने में भी सक्षम होने चाहिए चाहे उनके माता-पिता धनाड्यन हों। वे सुरक्षा चाहते हैं-अपराधियों और आतंकवादियों से। वे चाहते थे स्वच्छ वायु स्वच्छ जल और अपने बच्चों के साथ कुछ समय बिताना। और जब वे बूढ़े हो जाएँ तो गरिमा व सम्मान के साथ सेवानिवृत्त हो सकें।
भूमंडलीकरण और विस्मयकारी प्रौद्योगिकीय परिवर्तनों, गलाकाट राजनीति और अनवरत सांस्कृतिक युद्धों के इस युग में सर्वसम्मति बनाकर और मिल-जुलकर काम करने से ही समस्याओं का समाधान होगा। सरकारें हर समस्या हल नहीं कर सकतीं। परंतु अपनी प्राथमिकताओं को थोड़ा सा बदलकर हम यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि प्रत्येक बच्चे को जीवन में आगे बढ़ने का उचित अवसर मिले, ताकि वह उन चुनौतियों का सामना कर सके, जो एक राष्ट्र के रूप में हम सभी के सामने खड़ी हैं। समाज के सभी वर्गों के बीच सामंजस्य बिठाकर अभाव और कमियों को दूर करने के लिए आशावाद का संचार करनेवाली कृति है उगशा का सवेरा।
बराक ओबामा का जन्म सन् 1961 में होनोलुलु में हुआ। बीस-बाईस वर्ष की आयु से ही उन्होंने स्वेच्छा से शिकागो के दक्षिणी भाग में गरीब और अभावग्रस्त समुदायों के बीच कार्य किया। बाद में उन्होंने हार्वर्ड यूनिवर्सिटी के लॉ स्कूल में प्रवेश लिया और ‘हार्वर्ड लॉ रिव्यू’ के प्रथम अश्वेत अध्यक्ष बने। सन् 1995 में उनकी संस्मरणात्मक पुस्तक ‘ड्रीम्स फ्रॉम माई फादर’ प्रकाशित हुई। सन् 1996 में शिकागो लौटने के बाद वह इलिनॉइस स्टेट की सीनेट हेतु चुने गए। सन् 2004 में बराक ओबामा ने डेमोक्रेटिक नेशनल कन्वेंशन में अद्भुत व्याख्यान दिया और उस वर्षांत में वे अमेरिका की सीनेट के लिए चुन लिये गए। उनकी अन्य पुस्तक ‘दि ऑडेसिटी ऑफ होप’ (हिंदी में ‘आशा का सवेरा’) वर्ष 2006 में प्रकाशित होते ही अंतरराष्ट्रीय बेस्टसेलर बन गई। नवंबर 2008 में सीनेटर ओबामा अमेरिका के चौवालीसवें राष्ट्रपति चुने गए। वे अमेरिका के पहले अश्वेत राष्ट्रपति हैं। मिशेल उनकी पत्नी हैं और उनकी दो पुत्रियाँ—साशा एवं मालिया हैं।