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विद्वानों का मत है कि ‘असम’ शब्द संस्कृत के ‘असोमा’ शब्द से बना है, जिसका अर्थ होता है—अनुपम या अद्वितीय। किंतु अधिकतर विद्वानों का मानना है कि यह शब्द मूल रूप से ‘अहोम’ से बना है। असम राज्य में संस्कृति और सभ्यता की एक प्राचीन और समृद्ध परंपरा रही है। इसका प्रभाव यहाँ के लोकसाहित्य में भी देखने को मिलता है, जिसे पीढ़ी-दर-पीढ़ी सौंपा जाता जा रहा है। इसकी लोककथाओं के माध्यम से यहाँ के लोगों के जीवन और संस्कृति के विविध पहलुओं को जानने का अवसर मिलता है। असम में प्रचलित लोककथाओं को ‘साधु कथा’ कहा जाता है। यहाँ की लोककथाएँ अलौकिक घटनाओं से परिपूर्ण होती हैं। असम तंत्र-मंत्र, जादू-टोना एवं आध्यात्मिकता का केंद्र है। अतः लोककथाओं में तंत्र-मंत्र का समावेश भी देखने को मिलता है और रोजमर्रा के जीवन से जुड़ी घटनाओं को जोड़कर भी कथाएँ बनाई गई हैं। कल्पना और वास्तविकता के समन्वय और उनके रहन-सहन और परिवेश का आईना हैं असम की लोककथाएँ। उनकी बोली, खान-पान और गुजर-बसर करने के तरीकों के बारे में भी इन लोककथाओं के माध्यम से जानने का मौका मिलता है।
इस पुस्तक में ऐसी ही कुछ लोककथाएँ संगृहीत हैं, जो असम की गौरवशाली विरासत व संस्कृति का बोध कराती हैं।
जन्म : दिल्ली में।
शिक्षा : हिंदी में एम.ए. करने के साथ ही पत्रकारिता का अध्ययन।
कृतित्व : हिंदी व अंग्रेजी में लेखन, देश की उच्च-स्तरीय पत्र-पत्रिकाओं में चार सौ से अधिक कहानियाँ, कविताएँ व शोधपरक वैचारिक लेख प्रकाशित। आकाशवाणी के विभिन्न एकांशों से रचनाओं व वार्त्ताओं का नियमित प्रसारण। अंग्रेजी से हिंदी में अब तक 28 पुस्तकों का अनुवाद।
प्रकाशित कृतियाँ : ‘खाली कलश’, ‘ठोस धरती का विश्वास’, ‘अग्निदान’ (कहानी संग्रह)।
संप्रति : स्वतंत्र पत्रकारिता।