भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी भारत गणराज्य के प्रधानमंत्री रह चुके हैं। वह भारतवासियों के हृदय में एक राष्ट्रवादी चिंतक, प्रखर वक्ता और साहित्यानुरागी राजनेता के रूप में प्रतिष्ठित हैं। उन्होंने अपने दीर्घकालिक राजनीतिक जीवन में भारतीय समाज और संस्कृति के बारे में गहन चिंतन किया है। उनकी राजनीतिक दृष्टि में भारतीयता रची-बसी हुई है। उनकी चिंतन-दृष्टि आज भी हमारे लिए मार्गदर्शन का कार्य करती है। इस पुस्तक में आदरणीय अटलजी के शिक्षा विषयक विचारों को संकलित कर प्रस्तुत किया गया है। यह पुस्तक हमें अटलजी के विचारों के माध्यम से समकालीन संदर्भों में शिक्षा के अर्थ, लक्ष्य, स्वरूप एवं भविष्य को समझने में सहयोग करती है। अटलजी के शिक्षा संबंधित विचारों में उनका लोकचिंतक रूप, समावेशी दृष्टि और भारत के उज्ज्वल भविष्य की परिकल्पना परिलक्षित होती है।
Shri Atul Kothari
अतुल कोठारी
शिक्षा-संवर्धन के कार्यों हेतु निरंतर राष्ट्रव्यापी प्रवास। देश में शिक्षा के क्षेत्र में सकारात्मक कार्य करनेवाली संस्थाओं व विद्वानों को एक मंच पर लाने के लिए निरंतर यत्नशील।
पूर्व दायित्व : ‘शिक्षा बचाओ आंदोलन समिति’ के आद्य संस्थापकों में से एक। ‘शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास’ के संस्थापक सह सचिव। ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद्’ के राष्ट्रीय महामंत्री एवं राष्ट्रीय सह-संगठन-मंत्री।
लेखन, संपादन व प्रकाशन : भारतीय शिक्षा : राष्ट्रीय संकल्पना, शिक्षा में नए विकल्प का प्रारूप; शिक्षा की स्वायत्तता; उच्च शिक्षा : भारतीय दृष्टि; ‘शिक्षा उत्थान’ एवं ई-पत्रिका ‘शिक्षा-दर्पण’ के संपादक।
संपादन के क्षेत्र में विशिष्ट योगदान हेतु साहित्य मंडल द्वारा उपाधिपत्र। शिक्षा संस्कृति उत्थान न्यास के द्वारा देश भर में तीन हजार से अधिक संगोष्ठी एवं कार्यशालाओं के आयोजन में नेतृत्व। चरित्र-निर्माण एवं व्यक्तित्व के समग्र विकास पर 400 से अधिक कार्यशालाओं में मार्गदर्शन। भारतीय भाषा मंच एवं भारतीय भाषा अभियान के गठन के सूत्रधार। वर्ष 2015 में अमेरिका प्रवास के दौरान विश्वधर्म सम्मेलन को संबोधित करने का अवसर। वर्ष 2015 में भोपाल में आयोजित ‘विश्व हिंदी सम्मेलन’ की आयोजन समिति के सदस्य। वर्ष 2016 में मॉरीशस में विश्व हिंदी सचिवालय के स्थापना-दिवस कार्यक्रम में ‘मुख्य अतिथि’। वर्ष 2018 में विश्व हिंदी सम्मेलन मॉरीशस में सहभागिता।