₹250
"भावना शेखर का यह उपन्यास पिछली सदी में जनमे पाठकों के लिए नॉस्टैल्जिया है जबकि नई पीढ़ी के लिए इस पुस्तक से गुजरना पुरखों की डायरी पढ़ने जैसा है।
भौतिक विकास की चुधियाती दुनिया में हम उत्तरोत्तर असभ्य हो रहे हैं। रक्तपात की खबरों से सने अखबार रोज आईना दिखाते हैं। पर अफसोस, दिलो- दिमाग कुंद और संवेदनहीन होता जा रहा है। कारण हमारा अपनी संस्कृति से विमुख होना है। संस्कृति की कोख में ही सभ्यता पलती है। स्मारक, हवेलियाँ, इमारतें हमारी सांस्कृतिक विरासत हैं, जिनके झरोखों से इतिहास झाँकता है, जिनकी आबोहवा में कहानियाँ तैरती हैं। इनकी खामोशी और चहल-पहल में कल तथा आज के अनगिनत फसाने पैबस्त हैं।
यह उपन्यास पुरानी दिल्ली की तंग गलियों में बसी एक भव्य हवेली के जीवन को बयाँ करता है, जो कभी पुरानी तहजीब और रवायतों का पल्लू थामे अपने वैभव पर गुमान किया करती थी पर वक्त के थपेड़ों से अपना वजूद खो चुकी है; आज कानों में उसकी सिसकियाँ सुनाई देती हैं।
लेखिका ने उसके बाशिंदों की चित्र- विचित्र कथा के व्याज से पुरानी दिल्ली की बदलती रूह, रस्मो-रिवाज, अच्छे- बुरे हालात और बनती-बिगड़ती इनसानी फितरत की स्याह-सफेद तसवीरें पेश की हैं। साथ ही निर्माण और ध्वंस का सनातन चक्र मानव विकास-यात्रा की अनिवार्य प्रक्रिया है-यह भी दरशाया है।
- सूर्यबाला"
भावना शेखर
जन्म एवं शिक्षा : मूलतः हिमाचल प्रदेश से जुड़ी, दिल्ली में जनमी, लेडी श्रीराम कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातकोत्तर द्वय (हिंदी, संस्कृत), एम.फिल. और पी-एच.डी.। गत सत्ताईस वर्षों से अध्यापन।
रचना-संसार : आस्तिक दर्शनों में प्रतिपादित मीमांसा सिद्धांत, सत्तावन पँखुडि़याँ, साँझ का नीला किवाड़, मौन का महाशंख, जुगनी, खुली छतरी, जीतो सबका मन, मिलकर रहना। अनेक कविताओं का जापानी भाषा में अनुवाद।
गतिविधियाँ : आकाशवाणी के सर्वभाषा कवि सम्मेलन, बिहार के राष्ट्रीय ‘कविता समारोह’ और भारत-जापान द्वारा आयोजित पोएट्री सिंपोजियम में काव्य-पाठ। बिहार में ‘जागरण संवादी’ एवं पटना लिटरेचर फेस्टिवल में भागीदारी, छत्तीसगढ़ सरकार के ‘हिंदी हैं हम’ और दिल्ली सरकार की शैक्षिक कार्यशालाओं में विशेषज्ञ की भूमिका। इंडोनेशिया में ‘रामायण का वैज्ञानिक संदर्भ’ पर व्याख्यान।
पुरस्कार-सम्मान : सर्वश्रेष्ठ बालकथा का मधुबन संबोधन पुरस्कार एवं TERI संस्था द्वारा पुरस्कार। हिंदी साहित्य सम्मेलन, बिहार द्वारा साहित्यसेवी एवं शताब्दी पुरस्कार। नव अस्तित्व फाउंडेशन, दैनिक जागरण, दैनिक भास्कर द्वारा साहित्य के लिए वीमेंस अचीवर्स अवार्ड।
संप्रति : ए.एन. कॉलेज पटना में अध्यापन।
संपर्क : 8809931217