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Ath Shrimahabharat Katha   

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Author Shubhangi Bhadbhade
Features
  • ISBN : 9789392574047
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1
  • ...more

More Information

  • Shubhangi Bhadbhade
  • 9789392574047
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1
  • 2021
  • 240
  • Hard Cover
  • 300 Grams

Description

गांधारी मन-ही-मन देख रही थी कि अरण्य में आग लगी है और एक-एक वृक्ष उस अग्नि में स्वाहा हो रहा है। वह दौड़ रही है, पुकार रही है, परंतु पास में कोई नहीं है। वह अकेली है। श्रीकृष्ण महाराज ने द्वारका की अग्नि अपने हाथ से दूर की है। कालयवन को मृत्यु देनेवाले श्रीकृष्ण भी यहाँ दिखाई देते हैं। वह भयभीत होकर बोली, अरण्य की यह अग्नि ज्वाला हमारे शत पुत्रों को लपेट रही है, रक्षा कीजिए! इस घटना के पश्चात् सबकुछ ठीक होगा न?
द्रौपदी मौन खड़ी रही, तो श्रीकृष्ण ने पूछा, क्यों मौन हो?
श्रीकृष्ण महाराज, आप राजप्रासाद के राजपुरुष हो। हम आपको क्या दें? हमारे यहाँ सूर्यथाली है। उसमें पाँच घरों से भिक्षा माँगकर जो कुछ मिलता है, वही खाते हैं। थोड़ी भिक्षा रखी है, वह भी अभी-अभी गाय को देनेवाली थी। हम संन्यस्त वृत्ति से जीवन निर्वाह करते हैं। आपको देने के लिए केवल फल हैं, जो हम सायंकालीन भोजन में खाते हैं। कल जब सूर्योदय होगा तो सूर्यथाली में भोजन मिलेगा। हम विवश हैं, श्रीकृष्ण महाराज!
—इसी उपन्यास से

‘महाभारत’ का संक्षेप इस उपन्यास में होने पर भी मुख्य केंद्र हैं—श्रीकृष्ण, गांधारी। भीष्माचार्य, दुर्योधन, शकुनि, धृतराष्ट्र, कर्ण आदि पात्र इस उपन्यास में अपनी-अपनी भूमिका के साथ आए हैं। वैसे ही राजमाता कुंती, महारानी गांधारी, वृषाली, द्रौपदी, सुकन्या अपनी-अपनी भूमिका लेकर उपन्यास में हैं।
अत्यंत पठनीय एवं रोचक पौराणिक कृति।

The Author

Shubhangi Bhadbhade

जन्म : 21 दिसंबर, 1942 को बंबई में।
शिक्षा : एम.ए. (हिंदी), साहित्य रत्‍न।सौ. शुभांगी भडभडे मराठी की अत्यंत लोकप्रिय एवं प्रख्यात साहित्यकार हैं। पौराणिक, ऐतिहासिक और सामाजिक घटना-प्रतिघटनाओं से प्रभावित होकर अपनी खास शैली में लिखनेवालों में उनका नाम आदर के साथ लिया जाता है।
कृतियाँ : ग्यारह चारित्रिक तथा अठारह सामाजिक उपन्यास, पाँच कथा-संग्रह, बारह एकांकी। विभिन्न भारतीय भाषाओं में अनुवाद कार्य के अतिरिक्‍त तीन नाटक और स्तंभ लेखन; साथ ही किशोर साहित्य। दूरदर्शन व आकाशवाणी पर नाटकों का प्रसारण तथा वार्त्ता आदि।
सम्मान-पुरस्कार : महाराष्‍ट्र साहित्य सभा का ‘कविता पुरस्कार’, विदर्भ साहित्य संघ का ‘एकांकी लेखन पुरस्कार’, साहित्य अकादमी, बड़ौदा का ‘कथा पुरस्कार’, ‘कै. सुमन देशपांडे बाल साहित्य पुरस्कार’, ‘बाल उपन्यास पुरस्कार’, अ.भा. नाट्य परिषद्, मुंबई का ‘एकांकी लेखन पुरस्कार’ तथा ‘सारांश’ कथा-संग्रह पर महाराष्‍ट्र सरकार का ‘उत्कृष्‍ट वाड‍्मय पुरस्कार’।

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