₹1100
वन्दे मातरव्यक्तां व्यक्तां च जननीं पराम् ।
दीनोऽहं बालकः कांक्षे सेवा जन्मनि जन्मनि
तां देवीं भारतीं वन्दे मातरं विश्वपूजिताम्॥
(भारत भूमातृ स्तोत्र)
संपूर्ण ब्रह्मांड में अव्यक्त मातृशक्ति की व्यक्त स्वरूपा माँ भारती को प्रणाम। हम माँ भारती की विनम्र संतान एवं सेवक हैं। हमारी अभिलाषा है कि हर जन्म में माँ हम आपके सच्चे सेवक बनें। संपूर्ण विश्व द्वारा पूजित वंदनीया भारतमाता का शतसहस्र वंदन-अभिवंदन।
शतसहस्राधिक वर्षों से चली आ रही अतुल्य भारत की सनातन ज्ञान-विज्ञान की परंपरा, जीवन मूल्यों तथा संस्कृति-सभ्यता की पवित्र सुरसरि में अवगाहन करने तथा उसको आज के परिप्रेक्ष्य में सही प्रकार से जानने का विनम्र प्रयास है ‘अतुल्य भारत’ ग्रंथ। इस ग्रंथ में एक ओर तो देश के मूर्धन्य विचारकों तथा विद्वानों, यथा डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी, डॉ. मुरली मनोहर जोशी, श्री सुरेशजी सोनी के कालजयी आलेखों को समाहित किया गया है, वहीं उज्जैन सिंहस्थ-2016 के पवित्र पर्व पर आयोजित ‘विचार कुंभ’ के समापन अवसर पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी का प्रेरणास्पद व्याख्यान तथा उक्त मंथन के नवनीत रूप में प्रकट 51 युगानुकूल जीवनदृष्टि के अमृत बिंदुओं का समावेश है, जो देश के विकास और उसे समृद्धि के शिखर पर पहुँचाने के लिए देश की युवा पीढ़ी को दिए गए हैं, जिनका अनुपालन करके वे केवल भारत ही नहीं, बल्कि एक नए विश्व के निर्माण में अपना योगदान दे सकते हैं।
आधुनिक जीवन-शैली के फलस्वरूप ढहते हुए जीवन-मूल्यों तथा अपसंस्कृति से उत्पन्न समाज में आतंक, अत्याचार तथा अनाचार के इस घटाटोप में सुप्रसिद्ध पत्रकार-विचारक श्री विश्वनाथ सचदेव, शिक्षाविद् श्री एच.एन. दस्तूर, प्रो. करुणाशंकर उपाध्याय, श्री प्रबोध गोविल तथा श्रीमती मृदुल कीर्ति के आलेख निश्चय ही पाठकों को नई ताजगी और ऊर्जा देंगे। भारत ज्ञान की समृद्ध परंपरा, उसके महोदधि श्री अभिनव गुप्त तथा भारत की अतुलनीयता के दर्शन आपको श्री जवाहरलाल कौल, श्री सुरेश चतुर्वेदी, श्री महावीर नेवटिया, डॉ. विनोद टिबड़ेवाल, डॉ. रुचि चतुर्वेदी, श्री मथुरा प्रसाद अग्रवाल के आलेखों में होंगे, वहीं भारत की धरोहर और अमूल्य विरासत की जानकारी आपको श्री सुशील केडिया, डॉ. नारायण व्यास, श्री चंद्रकांत जोशी के खोजपूर्ण लेखों में मिलेगी। डॉ. नंदलाल पाठक, डॉ.बनमाली चतुर्वेदी तथा श्री जानकी वल्लभ शास्त्री के गीत आपका मन अवश्य पुलकित करेंगे। सुश्री पुष्पा भारती के आलेख से भारतीय इतिहास के भूले-बिसरे पृष्ठों की जानकारी होगी तो डॉ. जे.पी. बघेल अपने लेख से हमें भारत के उत्तर-पूर्वी राज्यों के सौंदर्य का दर्शन करा रहे हैं। श्री एस.पी. गोयल ने विश्वप्रसिद्ध विज्ञानी के शब्दों से भारत का गुणगान किया है।
भारतीय ज्योतिष, आयुर्वेद, संगीत तथा नृत्य, साथ ही युनेस्को द्वारा अब विश्व धरोहर की सूची में शामिल योग आदि की ज्ञानवर्द्धक जानकारियाँ पाठकों को स्वनामधन्य विद्वानों वैद्य श्री सुरेश चतुर्वेदी, स्व. पं. वासुदेव व्यास, डॉ. कुशनाथ चतुर्वेदी, श्री तुंगनाथ चतुर्वेदी, डॉ. प्रेम गुप्ता, डॉ. राजेंद्र रंजन चतुर्वेदी के लेखों से मिलेगी। पद्मश्री सुश्री सोमा घोष का आलेख भारत के लुप्त होते वाद्य यंत्रों की विरासत को बचाने की मार्मिक अपील है। मॉरीशस में स्थापित रामायण सेंटर और उसके परिसर में भव्य श्रीराम मंदिर की जानकारी दे रही हैं डॉ. विनोद बाला अरुण। श्री भागवत परिवार संस्था एवं उसके द्वारा आयोजित ‘अतुल्य भारत’ कार्यक्रम की चित्रमय झाँकी संस्था के महामंत्री श्री सुरेंद्र विकल के आलेख में मिलेगी। अहिरावण की कुलदेवी के मंदिर को पालघर में खोजकर लाए हैं श्री दिनेशचंद बेसावरी।
इस ग्रंथ के दूसरे खंड में अंग्रेजी के आलेख हैं, जिनमें भारतीय अर्थव्यवस्था पर बड़ा ही सूचनापरक और शोधपूर्ण आलेख डॉ. के.वी.एस.एस. नारायण राव का है। सुप्रसिद्ध लेखक-चिंतक श्री रतन शारदा पश्चिमोन्मुख होती जा रही युवा पीढ़ी को बता रहे हैं कि आधुनिक होने के अर्थ क्या हैं? वहीं श्री संदीप सिंह ने अपने आलेख के माध्यम से भारतीय कालगणना (केलेंडर) के वैज्ञानिक आधार को नई दृष्टि से समझाने की कोशिश की है। सुप्रसिद्ध विज्ञानाचार्य डॉ. एस.ए. उपाध्याय, डॉ. संतोष कुमार यादव, परम विदुषी एच.एन. देवकी तथा श्रीमती चारु चतुर्वेदी के लेखों से पाठकों को अपनी विराट प्राचीन विज्ञान-परंपरा तथा आधुनिक उपलब्धियों की जानकारी मिलेगी, जिसे पढ़कर हमारा गर्वित होना स्वाभाविक है। अमेरिका निवासी श्री निपुन मेहता के यात्रा-संस्मरण में आपको भारत के संवेदन और संस्कारशील चरित के दर्शन होंगे और तब हमें अवश्य अनुभव होगा कि भारत में जन्म हमारे पुण्यों का उदय है।
कुल मिलाकर भारत के गौरवशाली अतीत, परंपरा, संस्कार तथा समृद्ध भारतीय वाङ्मय और दर्शन का स्मरण करवाकर एक स्वर्णमयी-उज्ज्वल भविष्य की ओर अग्रसरित करता गौरव ग्रंथ है ‘अतुल्य भारत’।
वर्ष 1949 में प्रयाग (उ.प्र.) में जनमे श्री याज्ञिक मूल रूप से विसनगर, गुजरात के हैं। किशोरावस्था में ही दिल्ली आकर संघ लोक सेवा आयोग में नौकरी करते हुए स्नातकोत्तर तक का अध्ययन पूरा किया। बाद में कनिष्ठ अनुसंधान अधिकारी के पद से त्यागपत्र देकर ओरियंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में कार्य करते हुए मुंबई आ गए। वर्ष 2009 में सहायक प्रादेशिक प्रबंधक पद से निवृत्त होकर अब अध्ययन, लेखन तथा सेवा को समर्पित हैं।
वर्ष 1995 से 1998 तक रेल मंत्रालय राजभाषा सलाहकार समिति, 1998 से 2000 तक तेल तथा प्राकृतिक गैस मंत्रालय की राजभाषा सलाहकार समिति के सदस्य।
मुंबई से प्रकाशित हिंदी ‘विवेक’ मासिक पत्रिका के सलाहकार मंडल के सदस्य, विभिन्न पत्रिकाओं में समसामयिक विषयों पर लेखों का नियमित प्रकाशन। आकाशवाणी मुंबई से समय-समय पर विभिन्न आर्थिक, सामाजिक तथा सांस्कृतिक विषयों पर वार्त्ताओं का प्रसारण। अनेक स्मारिकाओं का संपादन, संयोजन तथा समसामयिक विषयों पर लेखों का प्रकाशन।
संप्रति जन कल्याण सहकारी बैंक के निदेशक मंडल के सदस्य।