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Aur Ek Yudhishithir   

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Author Bimal Mitra
Features
  • ISBN : 9789382898788
  • Language : Hindi
  • Publisher : Prabhat Prakashan
  • Edition : 1st
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  • Kindle Store

More Information

  • Bimal Mitra
  • 9789382898788
  • Hindi
  • Prabhat Prakashan
  • 1st
  • 2016
  • 192
  • Hard Cover

Description

‘ये सोलह सौ रुपए सेंक्शन कर दें, सर!’ यह कहते हुए उन्होंने एक वाउचर प्रतुल की ओर बढ़ा दिया।
‘यह वाउचर किस बारे में है?’ प्रतुल ने पूछा।
‘यह ‘इस्टेबलिशमेंट’ खर्च है, कंपनी का व्यवस्था-खर्च!’
‘यह व्यवस्था-खर्च क्या है? किस डिपार्टमेंट का है?’
‘जी, बात यह है कि यह रकम मिस्टर तालुकदार को देनी होती है।’
मिस्टर तालुकदार उनकी बगल में ही मौजूद थे। इसके बावजूद प्रतुल नहीं माना।
‘ये मिस्टर तालुकदार क्या हमारे स्टाफ हैं? ये तो सरकारी इंस्पेक्टर हैं। इन्हें तो सरकार से ही तनख्वाह मिलती है। हम इनको रुपए क्यों दें?’
मिस्टर बासु ने कहा, ‘ये जो हर हफ्ते सर्टिफिकेट पर दस्तखत कर जाते हैं। इसी बाबत इन्हें हर हफ्ते दो सौ रुपए नकद दिए जाते हैं।’
प्रतुल चौंक गया, ‘तो इसे घूस कहें न!’
‘नहीं, यह घूस नहीं है।’ मिस्टर बासु ने विरोध के लहजे में जवाब दिया।
प्रतुल गुस्से में भर उठा, ‘घूस को घूस न कहूँ तो और क्या कहूँ?’
इतनी देर बाद मिस्टर तालुकदार ने जुबान खोली, ‘लेकिन अगर मैं सारी दवाएँ चेक करके सर्टिफिकेट दूँ तो आप लोगों की कंपनी क्या चलेगी?’
—इसी उपन्यास से
--- प्रस्तुत है, आज की मारा-मारी, बेईमानी, हेरा-फेरी और भ्रष्‍टाचार के युग में ईमानदार, घूस न लेने-देनेवाले, कर्मठ एवं सहृदय युधिष्‍ठ‌िर की कहानी, बँगला के प्रख्यात साहित्यकार श्री बिमल मित्र की जबानी।

The Author

Bimal Mitra

जन्म : 18 मार्च, 1921 को कलकत्ता में।
शिक्षा : कलकत्ता विश्‍वविद्यालय से एम.ए.।
रेलवे में विभिन्न पदों पर रहते हुए भारत के अनेक भागों का भ्रमण और जनजीवन का निकट से अध्ययन। 1956 में नौकरी से अलग होकर स्वतंत्र साहित्य सर्जन का आरंभ।
बँगला और हिंदी के भी सर्वाधिक प्रिय उपन्यासकार। इनके उपन्यासों की सबसे बड़ी विशेषता है विश्‍वव्यापी घटनाप्रवाह के सार्वजनीन तात्पर्य को अपने में समेट लेना।
प्रकाशन : ‘अन्यरूप’, ‘साहब बीबी गुलाम’, ‘राजाबदल’, ‘परस्त्री’, ‘इकाई दहाई सैकड़ा’, ‘खरीदी कौडि़यों के मोल’, ‘मुजरिम हाजिर’, ‘पति परमगुरु’, ‘बेगम मेरी विश्‍वास’, ‘चलो कलकत्ता’ आदि कुल लगभग 70 उपन्यासों की रचना। ‘पुतुल दादी’, ‘रानी साहिबा’ (कहानी-संग्रह)। ‘कन्यापक्ष’ (रेखा-चित्र)।
निधन : 2 दिसंबर, 1991।

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