सुनील बाजपेयी ‘सरल’ का जन्म 22 फरवरी, 1968 को कल्लुआ मोती, लखीमपुर-खीरी (उ.प्र.) में उनके ननिहाल में हुआ था। उनका पैतृक स्थान रामखेड़ा है। बचपन के प्रारंभिक वर्ष अपने नाना स्व. श्री देवीसहाय मिश्र के सान्निध्य में बिताकर वे अपने माता-पिता (श्रीमती विमला बाजपेयी और श्री राम लखन बाजपेयी) के पास लखनऊ आ गए, जहाँ स्कूली शिक्षा पूरी हुई। आई.आई.टी. कानपुर से बी.टेक. और आई.आई.टी. दिल्ली से एम.टेक. की शिक्षा पूरी कर सन् 1991 में भारतीय राजस्व सेवा (आई.आर.एस.) ज्वॉइन की। नौकरी के दौरान आई.आई.एम. लखनऊ से प्रबंधन में परास्नातक डिप्लोमा प्राप्त किया और मेरठ विश्वविद्यालय से एल.एल.बी. की डिग्री अर्जित की। संप्रति आयकर आयुक्त के पद पर कार्यरत हैं।
उन्हें साहित्य और अध्यात्म से विशेष रुचि रही है। सन् 2014 में श्रीमद्भगवद्गीता का काव्यानुवाद कर ‘गीता ज्ञानसागर’ लिखी और तबसे व्याख्यानों के द्वारा गीता के ज्ञान का प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। द्वितीय पुस्तक ‘नई मधुशाला’ श्री हरिवंश राय ‘बच्चन’ की ‘मधुशाला’ से प्रेरित है और उसी तर्ज पर दार्शनिक विचारों को अभिव्यंजित करती है। प्रस्तुत कृति इनकी तृतीय पुस्तक है।