पी.जी.आई., रोहतक (हरियाणा) में परामरà¥à¤¶ चिकितà¥à¤¸à¤• के रूप में कारà¥à¤¯à¤°à¤¤ डॉ. आलोक खनà¥à¤¨à¤¾ शिशॠरोग विशेषजà¥à¤ž के रूप में सà¥à¤¦à¥‚र गà¥à¤°à¤¾à¤®à¥€à¤£ अंचल से लेकर सà¥à¤ªà¤° सà¥à¤ªà¥‡à¤¶à¤¿à¤à¤²à¤¿à¤Ÿà¥€ असà¥à¤ªà¤¤à¤¾à¤²à¥‹à¤‚ में शिशà¥-समसà¥à¤¯à¤¾à¤“ं को समरà¥à¤ªà¤¿à¤¤ हैं। समाज के विà¤à¤¿à¤¨à¥à¤¨ वरà¥à¤—ों में शिशॠके सही व गलत लालन-पालन और पà¥à¤°à¤šà¤²à¤¿à¤¤ अवधारणाओं से वे à¤à¤²à¥€-à¤à¤¾à¤à¤¤à¤¿ परिचित हैं।
शिशॠके उचित लालन-पालन संबंधी इनके लेख पà¥à¤°à¤®à¥à¤– समाचार-पतà¥à¤°à¥‹à¤‚ में पà¥à¤°à¤•à¤¾à¤¶à¤¿à¤¤ होते रहते हैं। पà¥à¤°à¤¸à¥à¤¤à¥à¤¤ पà¥à¤¸à¥à¤¤à¤• इन लेखों का संकलन है। इसका उदà¥à¤¦à¥‡à¤¶à¥à¤¯ शिशॠव छोटे बचà¥à¤šà¥‹à¤‚ का ठीक से पालन करने में मदद करना तथा à¤à¥à¤°à¤¾à¤‚तियाठमिटाना है।