38 वर्षों के अपने कार्यकाल के दौरान अनिल स्वरूप ने इन्हें कार्यरूप देने की कोशिश की। उनका जन्म इलाहाबाद में हुआ और सन् 1978 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से ही राजनीति विज्ञान में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की; उन्हें सभी क्षेत्रों में सर्वश्रेष्ठ होने पर कुलपति से स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ था। सन् 1981 में भारतीय प्रशासनिक सेवा (आई.ए.एस.) में जाने से पहले उन्होंने एक साल तक भारतीय पुलिस सेवा में भी कार्य किया। उन्हें लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी में प्रशिक्षण के दौरान अपने समूह में सर्वश्रेष्ठ प्रशिक्षण अधिकारी के लिए निदेशक से स्वर्ण पदक भी प्राप्त हुआ। एक लोकसेवक के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश और केंद्रीय सरकार के विभिन्न पदों पर कार्य किया। अपनी सेवा के अंतिम वर्षों में उनकी नियुक्ति भारत सरकार के कोयला मंत्रालय में सचिव के पद पर हुई, जहाँ उन्होंने कोयला घोटाले से उत्पन्न हुई स्थिति को सँभाला था। तत्पश्चात् उन्होंने स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग में सचिव के पद पर कार्य किया, जहाँ उन्होंने स्कूली शिक्षा में सुधार के लिए सार्वजनिक-निजी साझेदारी को प्रोत्साहित करने का प्रयास किया। एक बेहतरीन रणनीतिक विचारक और नव-परिवर्तन के नेतृत्व के लिए भी उन्हें अन्य बहुत से पुरस्कार प्राप्त हुए तथा वर्ष 2010, 2012, 2015 एवं 2016 के लिए ‘इकोनॉमिक टाइम्स’ ने उनका मनोनयन ‘पॉलिसी चेंज एजेंट’ के रूप में किया था। ‘इंडिया टुडे’ के पैंतीसवें वार्षिकांक में उनका चयन ‘पैंतीस एक्शन हीरोज’ में किया गया था।