अरविन्द मोहन जनसत्ता, हिंदुस्तान, इंडिया टुडे, अमर उजाला, सी.एस.डी.एस. और ए.बी.पी. न्यूज से जुड़े रहे हैं। बाहर भी उन्होंने लिखा और टीका-टिप्पणियाँ की हैं। इतना ही नहीं, कई बार नियमित पत्रकारिता से ब्रेक लेकर कुछ गंभीर काम किए हैं, जिनमें पंजाब जानेवाले बिहारी मजदूरों की स्थिति का अध्ययन, देश की पारंपरिक जल संचय प्रणालियों पर पुस्तक का संपादन और गांधी के चंपारन सत्याग्रह पर पुस्तक शामिल है, जो जल्दी ही प्रकाश में आनेवाली है। उन्होंने करीब एक दर्जन पुस्तकों का लेखन-संपादन किया है और इतनी ही चर्चित पुस्तकों का अनुवाद। कई पुरस्कारों और सम्मानों से विभूषित किए गए हैं। अरविन्द दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया समेत कई संस्थानों में मीडिया अध्यापन भी करते हैं। अभी वे महात्मा गांधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्व-विद्यालय के अतिथि लेखक और ए.बी.पी. न्यूज के राजनैतिक विश्लेषक हैं।