किताब क्यूँ ?
ये सवाल मैंने खुद से जब पूछा तो सब से ऊपर दो जवाब निकलकर आए जो इस किताब के छपने की वजह बने—पहली वजह ये कि जितना भी लिखा सब छोटा-छोटा, दिन-ब-दिन लिखा, तो लगा कि कुछ चुनिंदा बटोर कर किसी एक जगह इकट्ठा कर दिया जाए, जिसकी माँग और सलाह ट्विटर पर मौजूद पसंद करने वालों, मित्रों और वरिष्ठ जनों की ओर से व़क्त-व़क्त पर आती रही। दूसरी, ये कि ट्विटर के बाहर भी दुनिया है, अगर मेरे लिखे ल़फ्ज़ भटकते हुए आप तक बेनाम या किसी और नाम की त़ख्ती लगाए हुए कभी किसी माध्यम से पहुँचे हों या फिर आने वाले व़क्त में कभी पहुँचें तो आप उनका असल पता जान सकें।
आपका,
वजूद