अशोक चक्रधर एक संजीदा समीक्षक, लेखक, फिल्मकार, प्रोफे सर और लोकप्रिय कवि हैं। दिल्ली विश्वविद्यालय और जामिया मिल्लिया इसलामिया में तीस बरस तक अध्यापन। अनेक वर्ष विभागाध्यक्ष रहे तथा देश में पहली बार किसी हिंदी विभाग को मीडिया अध्ययन से जोड़ा। देश-विदेश के कवि सम्मेलनों के लिए एक जरूरी कवि हैं। दूरदर्शन पर इनके साप्ताहिक कार्यक्रम ‘चले आओ चक्रधर चमन में’ ने सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित किए। विभिन्न सामाजिक समस्याओं पर इन्होंने अनेक टेलीफिल्म, धारावाहिक और वृत्तचित्र बनाए। इनकी फिल्म ‘गुलाबड़ी’ और ‘बिटिया’ परदे पर लिखी कविताओं की तरह हैं। खूब सारी कथाएँ-पटकथाएँ एवं गीत लिखे। साठ से अधिक पुस्तकों के लेखक, हिंदी पत्रकारिता में विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं के लिए नियमित स्तंभ-लेखन।
राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय शताधिक पुरस्कारों और सम्मानों से सम्मानित डॉ. अशोक चक्रधर भारत के राष्ट्रपति द्वारा ‘पद्म श्री’ सम्मान से भी अलंकृत किए जा चुके हैं।