बलवीरसिंह ‘करुण’
जन्म : ज्येष्ठ शु. 10 (गंगा दशहरा), सं. 1995 वि. (07 जून, 1938)
शिक्षा : एम.ए., बी.एड.
व्यवसाय : राजस्थान शिक्षा विभाग में प्रधानाचार्य पद से सेवा-निवृत्त होकर स्वतंत्र लेखन।
प्रकाशित साहित्य : मैं द्रोणाचार्य बोलता हूँ (महाकाव्य), समरवीर गोकुला (महाकाव्य), विजयकेतु (खंडकाव्य), मैं उत्तरा (खंडकाव्य) तथा 10 अन्य काव्य कृतियाँ। उपन्यास : डीग का जौहर, ययाति, पांडव सखा श्रीकृष्ण, द्रोणाचार्य, भीष्म पितामह।
व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर अनेक पुस्तकें प्रकाशित।
प्रमुख सम्मान एवं पुरस्कार : उ.प्र. हिंदी संस्थान द्वारा दो लाख रुपए की राशि का अवंतीबाई सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी द्वारा एक लाख रुपए की राशि का डॉ. जनार्दनराय नागर सम्मान, पँवार वाणी फाउंडेशन, मेरठ का एक लाख रुपए का सम्मान, राजस्थान साहित्य अकादमी का सर्वोच्च मीरा पुरस्कार, म.प्र. साहित्य अकादमी का पं. भवानीप्रसाद मिश्र राष्ट्रीय पुरस्कार, बफेलो (अमेरिका) में हिंदी सेवी सम्मान तथा दर्जनों अन्य सम्मान एवं पुरस्कार।