भगवतीशरण मिश्र नाम है एक ऐसे साहित्यकार का जिनकी ऐतिहासिक एवं सामाजिक औपन्यासिक कृतियों द्वारा अपनी एक विशिष्ट पहचान बन गयी है । उन्होंने अपने समकालीनों को सचमुच मीलों पीछे छोड़ दिया है । विलक्षण भाषा, मनोहारी शिल्प और प्रस्तुतीकरण का वह अप्रतिम अंदाज ही उनकी कृतियों की विशेषता है जो केवल उन्हीं की हो सकती है । हजारों पंक्तियों के बीच में से भी डॉ. मिश्र की पंक्ति को पहचान लेना उनके हर पाठक के लिए सरल है ।
प्रमुख कृतियां
हिन्दी - प्रथम पुरुष, पुरुषोत्तम, एकला चलो, पीताम्बरा, बंधक आत्माएं यदा यदा हि धर्मस्य, नदी नहीं मुड़ती, सूरज के आने तक, शापित लोग, मील के पत्थर, ऊंचाइयों का ईश्वर, पहला सूरज, काके लागूं पांव, पवनपुत्र, एक और अहिल्या ।
अंग्रेजी - In Defence of Nonsense, Municipal Taxation In a Developing Economy, The Gita : All Riddles Resolved.