भास्वती मुखर्जी
विदेश-सेवा के अधिकारी के रूप में भारत-यूरोपीय संघ के संबंधों पर सबसे अधिक अनुभव रखनेवाले राजनयिकों में भास्वती मुखर्जी की एक अलग प्रतिष्ठा है। यूरोपीय संघ के मामलों में भारतीय विदेश मंत्रालय में उन्होंने विशेषज्ञता के साथ सबसे लंबे समय तक नेतृत्व किया है। इस अवधि के दौरान उन्होंने संबंधों को अधिक-से-अधिक संजीदगी और स्थिरता देने के लिए सालाना भारत-यूरोपीय संघ शिखर सम्मेलनों जैसे संस्थागत संबंधों का मार्गदर्शन किया।
38 वर्ष से अधिक समय के प्रतिष्ठित कॅरियर में वे नीदरलैंड में भारतीय राजदूत होने के साथ ही पेरिस, यूनेस्को में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रही हैं। भारत की ओर से न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र के स्थायी मिशन, संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में छह साल के कार्यकाल में और जिनेवा में मानवाधिकारों के लिए पहले उच्चायुक्त के रूप में उन्होंने अपनी अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञता को और अधिक प्रखर किया।
बहुत कम उम्र से उन्होंने सार्वजनिक संपर्क की शुरुआत की। मिरांडा कॉलेज में छात्र संघ के अध्यक्ष के रूप में चुने जाने पर मानवाधिकार और महिला अधिकारों के लिए तथा बाद में निरस्त्रीकरण एवं कूटनीतिक मामलों से लेकर विरासत व संस्कृति के लिए अपने जुनून को आगे बढ़ाने का उनमें भरोसा बढ़ा। इसके अलावा भास्वती मुखर्जी एक प्रशिक्षित गायिका हैं। एक बेहतरीन सार्वजनिक वक्ता के रूप में भारतीय मीडिया में वे विदेश नीति और रणनीतिक मामलों में एक प्रभावशाली आवाज रही हैं।