बिंदु सक्सेना ‘देहलवी’
मुझे आरंभ से ही किस्से-कहानियाँ पढ़ने का बहुत शौक था। बचपन में मैं अपनी माताजी से रोज एक कहानी सुनती थी। बडे़ होकर भी मेरी यह रुचि समाप्त नहीं हुई। यद्यपि मैंने गणित में एम.ए. किया, पर किस्से-कहानियों में मेरी दिलचस्पी सदा रही। अपने स्कूल व कॉलेज के दिनों में भी मैं पत्रिकाओं में लिखती रही। मैं पाँच साल ‘हिंदी सेक्शन’ की संपादक रही। प्रारंभ से अंत तक विभिन्न प्रतियोगिताओं में सदा मुझे प्रथम स्थान मिलता रहा। इसके अतिरिक्त मुझे पढ़ाई में भी ‘गवर्नमेंट ऑफ इंडिया नेशनल स्कॉलरशिप’ प्राप्त हुई, जिसके कारण मुझे कभी भी कॉलेज की फीस नहीं देनी पड़ी। यह मेरा पहला कहानी-संग्रह है, जिसे मैंने काफी परिश्रम से लिखा है। आशा करती हूँ, आप सबके आशीर्वाद से यह अवश्य सफल होगा।