चंद्रेश जेठालाल मकवाणा प्रसिद्ध कवि, अनुवादक और संपादक हैं। उनका जन्म फूलेत्रा (कड़ी, मेहसाणा) में हुआ था। उनकी उच्च शिक्षा अहमदाबाद में पूरी हुई। उन्होंने एच.बी. कापडि़या में एक शिक्षक के रूप में अपने व्यवसाय की शुरुआत की। इसके अतिरिक्त वह डी.पी.एस. समूह के निर्माण हाईस्कूल-पंचवटी और वसंत स्कूल-धोलका में भी अपनी सेवाएँ प्रदान करते हैं। वह सिर्फ एक शिक्षक ही नहीं, बल्कि एक कलाकार भी हैं। उन्होंने प्रफुल्ल भावसार द्वारा निर्देशित ‘आ मामानु घर केटले’ के प्रोडक्शन मैनेजर के रूप में काम किया है।
वर्ष 2012 में उन्हें इंडियन नेशनल थिएटर (एन.आई.टी.) का ‘शायड़ा अवॉर्ड’ और ‘गुजरात समाचार-समन्वय’ का ‘रवजी पटेल अवॉर्ड’ मिल चुका है। उन्होंने गुजराती फिल्मों में गीतकार के रूप में ‘ओ मारी पागल पद्मनी’ और ‘प्रीत ना करशो परदेशी’ और बाबासाहेब अंबेडकर विश्वविद्यालय के लिए एक गीत लिखा है। उन्होंने बाँग्लादेशी लेखिका तस्लीमा नसरीन के सर्वश्रेष्ठ बिक्री उपन्यासों ‘जैसे मेरे बचपन के दिन’ और ‘चाणक्यमेंट’ का अनुवाद किया है।
उनके ‘गीत मारो देश खीलशे गुजरात’ को शौकीन से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी ने पसंद किया है।