स्वामी सहजानंद सरस्वती के व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आधारित कृति के परिवर्द्धित एवं परिष्कृत तृतीय संस्करण के द्वितीय खंड को आपके हाथों में सौंपते हुए मुझे हार्दिक प्रसन्नता हो रही है। इसका प्रथम खंड ‘ज्योति-कलश’ शीर्षक से स्वामीजी की ऐतिहासिक 125वीं जयंती के अवसर पर आपके समक्ष प्रस्तुत किया गया। यह द्वितीय खंड उनकी पुण्यतिथि के अवसर पर ‘अमृत-कलश’ नाम से प्रकाशित हुआ है।
आशा है, यह कृति प्रथम खंड की ही भाँति स्वामी सहजानंद सरस्वती की सोच और विचार के विभिन्न पहलुओं की गहराई से समीक्षा प्रस्तुत कर सकेगी। मुझे खुशी होगी, जब गाँव के किसान-मजदूर आर्थिक रूप से मजबूत होंगे, उन्हें उनकी कड़ी मेहनत का उचित मूल्य मिल सकेगा। अपनी इन्हीं भावनाओं और कल्पनाओं के साथ यह ‘अमृत-कलश’ स्वामीजी की पुण्यतिथि के अवसर पर पाठकों को समर्पित कर रहा हूँ। विश्वास है, सुधीजन इसे सकारात्मक प्रयास के रूप में ग्रहण कर मेरा उत्साह बढ़ाएँगे।
—डॉ. महाचंद्र प्रसाद सिंह
मंत्री,
लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग,
बिहार, पटना