इस संग्रह के तीसरे लघुकथाकार डॉ० ध्रुव कुमार तीन दशक से रंगमंच, पत्रकारिता और साहित्य में समान रूप से सक्रिय हैं। इनकी विभिन्न विषयों की लगभग डेढ़ दर्जन पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। लघुकथा लेखन के साथ-साथ यह आलोचना के क्षेत्र में भी पिछले एक दशक से काफी सक्रिय हैं।