डॉ. हेमंतराजे गायकवाड ने अपनी एमबीबीएस डीओएमएस की पढ़ाई ग्रांट मेडिकल कॉलेज से की, जहाँ वे छात्र संघ के महासचिव थे। सन् 1999 में अपने बैच की रजत जयंती को मनाने के लिए उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों से जुड़ी इस रोचक पुस्तक को लिखा जिसका नाम है--“चकारका मकारका।'
सन् 1986 में वे चिकित्सा अधिकारी के रूप में नियुक्त हुए और कालांतर में ग्रेटर मुंबई के कमांडेंट बने । वे "स्वतंत्रता स्वर्ण जयंती पदक ' (1997) व ' महाराष्ट्र राज्य होमगार्ड हीरक जयंती पदक' (2006) से अलंकृत हैं। उन्होंने कॉलेज/यूनिवर्सिटी की प्रतियोगिताओं में वाद-विवाद, रॉक क्लाइंबिंग और बैडमिंटन के अनेक पुरस्कार जीते। सन् 1980 में अपने इंटर्नशिप के दौरान उन्होंने चिरनर ग्रामीण चिकित्सा केंद्र की स्थापना की, जो आज बढ़ता हुआ चालीस बिस्तरोंबवाला ग्रामीण अस्पताल बन गया है। पिछले सोलह वर्षों में 7000 से अधिक चिकित्सा सहायकों को प्रशिक्षित किया । डॉ. गायकवाड भारत सेवक समाज के क्षेत्रीय अधिकारी (महाराष्ट्र) थे, जिसके संस्थापक अध्यक्ष पं. जवाहरलाल नेहरू थे। भासेस को पहले 'सर्वेट सोसाइटी ऑफ इंडिया' कहते थे, जिसकी स्थापना श्री गोपाल कृष्ण गोखले ने सन् 1902 में की थी।
लायंस क्लब इंटरनेशनल ने उन्हें असाधारण शिक्षक पुरस्कार से सम्मानित किया था | उन्हें भारतीय चिकित्सा रत्न अवार्ड और राजीव गांधी शिरोमणि पुरस्कार भी मिल चुका है। उनकी पुस्तक 'महान शिवाजी महाराज' (मराठी) सर्वाधिक बिकनेवाली पुस्तकों में शामिल है। वह डॉ. पुष्पा गायकवाड़ के साथ सुखद वैवाहिक जीवन बिता रहे हैं, जो एक नेत्र रोग सर्जन हैं । उनके दो बच्चे--डॉ. गौरांग, जो होम्योपैथ हैं और डॉ. गुंजन, जो डेंटल सर्जन हैं।