डॉ. कुलदीप चंद अग्निहोत्री (1951) लंबे अरसे से अध्ययन-अध्यापन से जुड़े हैं। सिख नेशनल कॉलेज बंगा से बी.एससी. करने के बाद लायलपुर खालसा कॉलेज जालंधर से एम.ए. और पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से पीएच.डी की उपाधि प्राप्त की। पंजाब विश्वविद्यालय से ही आदि ग्रंथ आचार्य की परीक्षा उत्तीर्ण की। पंजाबी विश्वविद्यालय पटियाला से पंजाबी भाषा में ऑनर्ज की डिग्री प्राप्त की। कुछ देर गुरु नानक खालसा कॉलेज-सुलतानपुर लोधी में भी पढ़ाते रहे। हिमाचल प्रदेश में अनेक उच्च अकादमिक पदों पर रहे— बाबासाहेब आंबेडकर पीठ के अध्यक्ष रहे। कुछ समय तक पंजाब स्कूल शिक्षा बोर्ड के उपाध्यक्ष का दायित्व भी सँभाला।
भारत तिब्बत सहयोग मंच के संरक्षक अग्निहोत्री ने सन् 1975 में भारत सरकार द्वारा घोषित की गई आपातस्थिति का विरोध करते हुए जेल यात्रा भी की। अग्निहोत्रीजी की दो पुस्तकें, मध्यकालीन भारतीय दशगुरु परंपरा-इतिहास का स्वर्णिम पृष्ठ तथा गुरु गोबिंद सिंह व्यक्तित्व और कृतित्व काफी चर्चित हैं। हिमाचल प्रदेश के बडसर नगर में दीनदयाल उपाध्याय महाविद्यालय की स्थापना की। भारतीय भाषाओं की एकमात्र संवाद समिति ‘हिंदुस्थान समाचार के निदेशक मंडल के सदस्य रहे।’ ‘जनसत्ता’ अखबार से भी जुड़े रहे। हिमाचल प्रदेश विधानसभा की पुस्तकालय समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य रहे। संप्रति हिमाचल प्रदेश केंद्रीय विश्वविद्यालय धर्मशाला के कुलपति है।