पुस्तक ‘स्वयं की ओर : एक यात्रा’ एवं ‘आध्यात्मिक यात्रा : एक साधक की डायरी से’ दोनों एक ही साधक अर्थात् डॉ. कुसुम गौड़, जो कि अपनी स्वयं की अनुभूति करने के लिए इस यात्रा पर निकलती हैं, की अनुभूतियों का संग्रह है, जो क्रमशः अलग-अलग तरह से वर्णित है।
जहाँ ‘आध्यात्मिक यात्रा : एक साधक की डायरी से’ उन पद्यों का संकलन है, जो साधक को इस यात्रा के दौरान स्वयं अनुभूत होकर स्वयं की भावलहरियों से समय-समय पर प्रस्फुटित हुए तथा ‘स्वयं की ओर : एक यात्रा’ इस साधक की स्वयं की ओर क्रमिक गति व अलग-अलग स्तर पर हुई अनुभूतियों व उनकी समझ का वर्णन है।
इस आध्यात्मिक यात्रा के दौरान इस साधक को क्या-क्या परेशानियाँ आईं, कैसी-कैसी रुकावटें आईं, कैसे उनका निराकरण हुआ तथा कैसे उनसे निपटना हुआ, उनका वर्णन है।
वैसे तो ये दो अलग-अलग पुस्तक भी हो सकती हैं, परंतु इन दोनों को एक साथ रखने का उद्देश्य भी यही है कि पाठकगण ‘स्वयं की ओर : एक यात्रा’ में वर्णित अनुभूतियों व उनकी समझ को ‘आध्यात्मिक यात्रा : एक साधक की डायरी से’ में लिखे गए पद्य तथा उसके लिखने के समय से जोड़कर देख सकें।