Dr. Mahesh Chandra Sharma
Birth: 7 September, 1948 in Churu, Rajasthan.
Education: BA (Hons) Hindi, MA, PhD (Political Science). Career/Activities: Left the job of lecturer to become an RSS Pracharak in 1973. Was detained under MISA between August 1975 and April 1977. 1977-1983: Organising Secretary of ABVP in the then North-Western Zone. 1983-1986: Research on Political Biography of Pt. Deendayal Upadhyaya : His Actions and Ideology. Contributed weekly column Vishwavarta and Apna Desh in various newspapers and periodicals across the country. 1986: Became the Secretary, Deendayal Research Institute and edited its research journal Manthan. Have been regularly bringing out an annual publication Akhand Bharat Smarnika since 1986. 1996-2002: Member, Rajya Sabha (Upper House of the Parliament of India) and the Chief Whip of the BJP in the House. 2002-2004: Vice President, Nehru Yuvak Kendra. 2006-2008: President, BJP, Rajasthan. 2008-2009: Chairman, Development and Investment Board, Rajasthan. Have been the Chairman, Research and Development Foundation for Integral Humanism since 1999. Editor: Deendayal Upadhyaya Sampoorna Vangmay, and now the Complete Works of Deendayal Upadhyaya, running into 15 Volumes.
डॉ. महेश चंद्र शर्मा
जन्म : राजस्थान के चुरू कस्बे में 7 सितंबर, 1948 को।
शिक्षा : बी.ए. ऑनर्स (हिंदी), एम.ए. एवं
पी-एच.डी. (राजनीति शास्त्र)।
कृतित्व : 1973 में प्राध्यापक की नौकरी छोड़कर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक बने। आपातकाल में अगस्त 1975 से अप्रैल 1977 तक जयपुर जेल में ‘मीसा’ बंदी रहे। सन् 1977 से 1983 तक अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद् में उत्तरांचल के संगठन मंत्री, 1983 से 1986 तक राजस्थान विश्वविद्यालय से पी-एच.डी. की उपाधि के लिए ‘दीनदयाल उपाध्याय का राजनैतिक जीवन चरित—कर्तृत्व व विचार सरणी’ विषय पर शोधकार्य। 1983 से साप्ताहिक ‘विश्ववार्ता’ व ‘अपना देश’ स्तंभ नियमित रूप से भारत के प्रमुख समाचार-पत्रों में लिखते रहे।
सन् 1986 में ‘दीनदयाल शोध संस्थान’ के सचिव बने। शोध पत्रिका ‘मंथन’ का संपादन। 1986 से वार्षिक ‘अखंड भारत स्मरणिका’ का संपादन। 1996 से 2002 तक राजस्थान से राज्यसभा सदस्य एवं सदन में भाजपा के मुख्य सचेतक रहे। 2002 से 2004 तक नेहरू युवा केंद्र के उपाध्यक्ष। 2006 से 2008 तक भाजपा राजस्थान के अध्यक्ष। 2008-2009 राजस्थान विकास एवं निवेश बोर्ड के अध्यक्ष। 1999 से एकात्म मानवदर्शन अनुसंधान एवं विकास प्रतिष्ठान के अध्यक्ष। पंद्रह खंडों में हिंदी व अंग्रेजी में प्रकाशित ‘पं. दीनदयाल उपाध्याय संपूर्ण वाङ्मय’ के संपादक।