डॉ. राजेश गुप्ता एक ऐसी सख्शियत हैं, जिन्होंने दुनिया को दिखाया है कि न तो सपने देखने की कोई उम्र होती है और न ही उन सपनों को हकीकत में बदलने की। एक प्रशिक्षित चिकित्सक, जिन्होंने मेडिकल प्रैक्टिस की दुनिया से बाहर आकर, डिजिटल हैल्थ मैनेजमेंट के क्षेत्र में अपना एक अलग मुकाम हासिल किया। कई बडे़ प्राइवेट अस्पतालों और आई.टी. कंपनी में मैनेजमेंट, टेक्नोलॉजी और ऑपरेशन सँभालने में उनका महत्त्वपूर्ण योगदान रहा है। अपने त्रुटिहीन समय प्रबंधन के लिए पहचाने जानेवाले डॉ. राजेश ने अपने गीतों, कविताओं और गजलों के माध्यम से बहुतों के दिल में एक अलग जगह बना ली है।
वर्तमान में कुवैत के ताइबा हॉस्पिटल में कार्यरत होते हुए भी उन्होंने अपने लिखने का सिलसिला जारी रखा और एक अनोखा प्रयोग करते हुए ‘रहें, न रहें हम’ का सृजन किया, जिसमें हिंदी फिल्म जगत् के सदाबहार और बेहतरीन गीतों को बेहद प्यार और सम्मान के साथ एक नई दिशा देने का सराहनीय प्रयास किया गया है। कुल मिलाकर उनकी पाँचवीं, लेकिन विश्व स्तर पर यह पहली पुस्तक होगी जहाँ मौजूदा फिल्मी गीतों की यात्रा को बिल्कुल सहज तरीके से आगे बढ़ाया गया है।