स्वनामधन्य डॉ. संत एस. धर्मानंद का जन्म त्रिनिदाद एवं टोबैगो के खूबसूरत द्वीप में हुआ, लेकिन वर्तमान में वह अमेरिका के विस्कॉन्सिन शहर में रहते हैं। विदेश में जन्म एवं पालन-पोषण होने के बावजूद वह स्वयं को अपने हृदय और आत्मा से भारत का वासी ही मानते हैं। इसलिए पुस्तक के माध्यम से भारत के प्रति उनका प्रेम समझा जा सकता है। वह न केवल एक संत, बल्कि एक वैज्ञानिक, समाजसेवी, दार्शनिक और संगीतकार हैं। वह श्री स्वामी राम के प्रत्यक्ष शिष्य हैं। उन्होंने कई हिमालयन गुरुओं के सान्निध्य में रहकर अध्ययन किया और ध्यान एवं योग में अपने अभ्यास को गहरा करने के लिए भारत में लंबा समय बिताया है। इसके अलावा वह वर्षों से आधुनिक विज्ञान और तकनीक के साथ हिमालयन ज्ञान को समाहित और संघटित कर विदेशों में उसका प्रचार-प्रसार कर रहे हैं। साथ ही, नियमित रूप से शिक्षा के क्षेत्र में साधनहीन और जरूरतमंद योग्य विद्यार्थियों की उच्च शिक्षा की व्यवस्था करते हैं।
आशा नयाल नई पीढ़ी की एक सशक्त अनुवादक हैं। वह पूर्व में ‘लाइफ पॉजीटिव’ पत्रिका के हिंदी विभाग में सहयोगी संपादक थीं, आज एक स्वतंत्र लेखिका, संपादक एवं अनुवादक के रूप में काम कर रही हैं। आध्यात्मिक विषयों के भावपूर्ण अनुवाद करने में विशेष दक्षता।