दुलीचंद जैन जैन-दर्शन एवं जीवन-शैली के प्रख्यात लेखक हैं; प्रमुख पुस्तकें हैं—जिनवाणी के मोती, जिनवाणी के निर्झर (हिंदी एवं अंग्रेजी), Pearls of Jaina Wisdom, Universal Message of Lord Mahavira.
इन ग्रंथों में उन्होंने जैन आगम पर आधारित मानवीय जीवन-मूल्यों का विशद विवेचन किया है। उनके लेख अनेक प्रसिद्ध पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहते हैं।
यूनाइटेड राइटर्स एसोसिएशन ने उन्हें ‘जीवनपर्यंत उपलब्धि पुरस्कार’ प्रदान किया है। सन् 2013 में वे विश्व जैन महापरिषद् मुंबई से सम्मानित हुए। उन्हें Federation of Jain Associations of North America ने सन् 2001 में शिकागो में आयोजित विश्व सम्मेलन में जैन धर्म पर दो व्याख्यान देने के लिए आमंत्रित किया था।
वे करुणा अंतरराष्ट्रीय के चेयरमैन हैं, विवेकानंद एजुकेशनल सोसाइटी के उपाध्यक्ष, विवेकानंद एजुकेशनल ट्रस्ट के अध्यक्ष तथा विवेकानंद विद्या कला आश्रम के ट्रस्टी भी हैं। वे जैन विद्या शोध संस्थान के 14 वर्षों तक सचिव रह चुके हैं।
दूरभाष : 9444047263
इ-मेल : dcj.chennai@gmail.com