डॉ. विन्देश्वर पाठक आधुनिक भारत में महान् मानवतावादी विचारधारा के साथ बड़े समाज-सुधारक के रूप में प्रतिष्ठित हैं। समाज के कमजोर वगोह् के प्रति आपमें एक विशेष करुणा, दार्शनिक की दूरदृष्टि और समाज की समस्याओं के समान के लिए अंतहीन उत्साह है।
आपका जन्म 2 अप्रैल, 1943 ई. को बिहार के वैशाली जिला के रामपुर-बघेल गाँव के परंपरावादी ब्राहण-परिवार में हुआ। आपने पटना विश्वविद्यालय से समाजशात्र और अँगरेजी विषयों में एम्.ए. के बाद पीएच्.डी. और डी.लिट्. की उपा प्राप्त की। समाजशात्र, स्वच्छता इत्यादि ज्वलंत सामाजिक विषयों पर आपकी 35 पुस्तकें प्रकाशित हैं। आप एक ससदय कवि, गीतकार एवं संगीतकार हैं।
आपने सन् 1970 में ‘सुलभ शौचालय संस्थान’ की स्थापना की, जो अब ‘सुलभ इंटरनेशनल सोशल सर्विस ऑर्गनाइजेशन’ के नाम से सुप्रसिद है। आपने देश में प्रचलित ‘कमाऊ शौचालयों’ को दो गड्ढेवाले जल-प्रवाही सुलभ शौचालयों में परिवर्तित कर 2 लाख से भी अीक स्कैवेंजरों को मैला ढोने के अमानवीय कार्य से मुक्त कराया। आपने 15 लाख घरेलू शौचालय और 8,500 से अीक सार्वजनिक शौचालय निर्मित कराए हैं, जो स्वच्छता के क्षेत्र में मील के पत्थर साबित हुए हैं। माननीय प्रीनमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के ‘स्वच्छ भारत-अभियान’ में आपकी सयय भागीदारी है।
आपके सत्प्रयासों से वृंदावन, वाराणसी और उनाराखंड की विधवाओं के जीवन में आमूल परिवर्तन आया है। वे होली, दिवाली जैसे त्योहार मनाकर सुख-चैन से मर्यादित जीवन जी रही हैं।
भारत-सरकार ने 1991 ई. में आपको ‘पद्मभूषण’ की उपा से अलंकृत किया। 2003 ई. में