जी.एल. बत्रा
सरगोधा जिले (अब पाकिस्तान में) के एक छोटे से कस्बे मीठा-तिवाना में जनमे जी.एल. बत्रा प्राणिविज्ञान में एम.एस-सी. करने के बाद इलाहाबाद विश्वविद्यालय में प्राणिविज्ञान विभाग में रिसर्च फेलो रहे। तदुपरांत सन् 1969 में हिमाचल प्रदेश के शिक्षा विभाग में सेवारत हो गए, जहाँ से वे सन् 2001 में सेवानिवृत्त हुए। संप्रति विभागीय समिति के सदस्य।
शिक्षा के क्षेत्र में उत्कृष्ट, समर्पित सेवा के लिए उन्हें हिमाचल प्रदेश के एक एन.जी.ओ. द्वारा ‘प्रियदर्शनी’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। विश्व हिंदू परिषद् द्वारा ‘हिंदू रत्न’ उपाधि से भी उन्हें सम्मानित किया गया है। साथ ही डिजिटल इंडिया यंग जर्नलिस्ट्स एसोसिएशन, मध्य प्रदेश ने ‘स्पेशल प्राइड अवार्ड’ से भी सम्मानित किया है।
वे अपनी राष्ट्रवादी व आध्यात्मिक सोच के लिए जाने जाते हैं।