गिजुभाई
जन्म : 15 नवंबर, 1885।
गिजुभाई बधेका गुजराती भाषा के लेखक और महान् शिक्षाशास्त्री थे। उनका पूरा नाम गिरिजाशंकर भगवानजी बधेका था। अपने प्रयोगों और अनुभव के आधार पर उन्होंने आकल्पन किया था कि बच्चों के सही विकास के लिए, उन्हें देश का उत्तम नागरिक बनाने के लिए, किस प्रकार की शिक्षा देनी चाहिए और किस ढंग से। इसी आधार पर उन्होंने बहुत सी बालोपयोगी कहानियाँ लिखीं।
ये कहानियाँ बालमन, उसकी कल्पना की उड़ान और उसके खिलंदड़े अंदाज को व्यक्त करती हैं। बच्चे इन कहानियों को चाव से पढ़ें, उन्हें पढ़ते या सुनते समय उनमें लीन हो जाएँ, इस बात का उन्होंने पूरा ध्यान रखा। संभव-असंभव, स्वाभाविक-अस्वाभाविक, इसकी चिंता उन्होंने नहीं की। यही कारण है कि इन कहानियों की बहुत सी बातें अनहोनी सी लगती हैं, पर बच्चों के लिए तो कहानियों में रस प्रधान होता है, कुतूहल महत्त्व रखता है और ये दोनों ही चीजें इन कहानियों में भरपूर हैं।
स्मृतिशेष : 23 जून, 1939।