डॉ. गोविंद राम साहनी का जन्म रावलपिंडी (अब पाकिस्तान) जिले के गाँव नाड़ा में 15 जुलाई, 1935 को हुआ।
माता-पिता के संस्कारों के कारण
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ एवं अन्य राष्ट्रवादी संगठनों के साथ जुड़ने का जो योग बना, उसी पर वे आजीवन चलते रहे।
शिक्षा की ललक उन्हें इलाहाबाद विश्वविद्यालय ले गई, जहाँ प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. जे.के. मेहता के व्यक्तित्व व शिक्षण ने उन्हें एक चिंतक बना दिया। एम.ए. (अर्थशास्त्र) के उपरांत समाज सेवा के दौरान देश एवं ग्रामीण परिवेश को निकट से देखा। पी. एचडी का विषय ‘उत्तर प्रदेशीय विद्युत् संस्थानों में श्रम स्थितियों का एक अध्ययन’ को चुना।
परम पूज्य मा.स. गोलवलकर (श्रीगुरुजी) का आध्यात्मवाद, श्री दीनदयाल उपाध्याय का एकात्म मानववाद, श्री दत्तोपंत ठेंगड़ी का मजदूर चिंतन उन्हें प्रेरित करता रहा।
शिक्षण संस्थानों में 35 वर्षों तक अध्यापन के बाद 1995 में पोस्ट ग्रेजुएट कॉलेज के प्राचार्य पद से सेवानिवृत्ति के बाद भी जीवन यात्रा की इतिश्री तक विभिन्न संगठनों में सेवाकार्य करते रहे। शिक्षण के दौरान अर्थशास्त्र एवं अन्य सामाजिक विषयों पर कई पुस्तकें प्रकाशित हुईं। उनकी लेखनी पूवर्जों द्वारा अर्थशास्त्र पर किए चिंतन को समाज तक लाने को आतुर थी व इसी का परिणाम यह ग्रंथ है, जिसे उन्होंने कैंसर से जूझने के बाद भी पूरा किया।
स्मृतिशेष : 19 दिसंबर, 2014