शाहाबाद जिला (अब कैमूर) के सिरहिरा गाँव में जन्म। काशी हिंदू विश्वविद्यालय से स्नातक की परीक्षा पास की। आगे की पढ़ाई छोड़कर सत्याग्रह में शामिल हुए। बाद में आर्य कन्या विद्यालय, बड़ौदा में शिक्षक बन गए। वहीं पर वल्लभभाई पटेल के निकट संपर्क में आए। नौकरी छोड़कर भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल हुए। बनारस में रहकर स्वाध्याय, लेखन और संपादन कार्य करते हुए ‘सात्त्विक जीवन’ पत्रिका का संपादन किया। संविधान सभा में बिहार से एक सदस्य के रूप में शामिल किए गए। वे संस्कृत, अंग्रेजी, हिंदी, बँगला, उर्दू, फारसी, गुजराती, मराठी आदि भाषाओं के जानकार थे। उनकी साहित्य साधना अद्वितीय है। ‘कुर्मी वंश प्रदीप’ या ‘कुर्मी क्षत्रिय जाति का संक्षिप्त परिचय’ उनका अनुपम ग्रंथ है। वे अखिल भारतीय कुर्मी क्षत्रिय महासभा के प्रधानमंत्री बनाए गए।"