गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली निखिल मंत्र विज्ञान के संस्थापक हैं। जोधपुर (राजस्थान) इनकी कर्मभूमि है। उन्होंने चार दशक पूर्व अपने परमपूज्य पिता सद्गुरुदेव डॉ. नारायण दत्त श्रीमाली की सांस्कृतिक और आध्यात्मिक धरोहरों को साहित्य और सम्मेलनों के माध्यम से जनमानस तक पहुँचाने का कार्य आरंभ किया था।
सद्गुरुदेव शक्तिपात, दीक्षा-संस्कार और साधना प्रवचनों द्वारा शिष्यों में तपोबल की ऊर्जा प्रदान करते हैं। शक्तिपात साधक के अंदर एक क्रांति का सूत्रपात है और इस मानस क्रांति से साधक कर्म संन्यास के माध्यम से अपने भौतिक जीवन के सभी आयामों को प्राप्त करता है।
सद्गुरुदेव नंदकिशोर श्रीमाली के जीवन का लक्ष्य वैदिक ज्ञान को उसके गरिमामय आसन पर सकल भारतवर्ष में पुनर्स्थापित करना है, जिससे मनुष्य मात्र अपने जीवन में शिवत्व को अनुभव कर सके एवं उसका जीवन संताप मुक्त हो सके।
यह कार्य सद्गुरुदेव अपने विचारों को मासिक पत्रिका ‘निखिल मंत्र विज्ञान’ के माध्यम से जन-जन तक पहुँचाकर संपादित कर रहे हैं।