ज्ञानसुंदरम कृष्णमूर्ति तमिल साहित्य में स्नातकोत्तर हैं। सन् 1962 में भारतीय जीवन बीमा निगम में कनिष्ठ अधिकारी के रूप में अपनी सेवाएँ प्रारंभ; सन् 2000 में सेवानिवृत्ति से पूर्व तीन वर्षों तक इसके अध्यक्ष रहे। अपने अध्यक्षीय काल भारतीय साधारण बीमा निगम, यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया, नेशनल हाउसिंग बैंक और आई.सी.आई.सी.आई. के बोर्ड में जीवन बीमा निगम का प्रतिनिधित्व किया।
श्री कृष्णमूर्ति की नियुक्ति तीन वर्षों के लिए मुंबई और गोवा के बीमा लोकपाल के रूप में हुई। बीमा कंपनियों और दावाकर्ताओं के बीच उपजे सैकड़ों बीमा विवादों में उन्हें सलाहकार, मध्यस्थ एवं न्याय-निर्णायक के रूप में कार्य करने का अवसर मिला। जीवन बीमा निगम में एक अधिकारी और बीमा लोकपाल के रूप में उन्हें जो अनुभव व अंतर्दृष्टि प्राप्त हुई, उसने उन्हें इस पुस्तक में पॉलिसीधारकों के ऊपर विपरीत प्रभाव डालनेवाले कई विषयों को पहचानने के लिए प्रेरित किया और जीवन बीमा पॉलिसीधारकों के ध्यान देने के लिए वे इन्हें आगे भी लाए।
इस पुस्तक में उन्होंने जीवन बीमा पॉलिसीधारकों के अधिकार एवं दायित्व तथा बीमा के कानूनी पहलुओं को भी स्पष्ट किया है।