इंदु रांचन की विचारधारा का अंदाज़ा उनकी कहानियों से लगाया जा सकता है। इंडिया और अमरीका की लंबी रिहाइश की वजह से उनके अनुभव में दोनों सभ्यताओं का प्रभाव दिखता है। एम.ए. इंग्लिश लिटरेचर की डिग्री यूनिवर्सिटी ऑ़फ विस्कॉनसिन, अमरीका से प्राप्त कर, कॉलेज में अंग्रेज़ी भाषा व साहित्य पढ़ाने में उनका योगदान रहा। उनकी अंग्रेज़ी ग्रामर की तीन किताबें छपी हैं। 2010 में उनका बच्चों की कहानियों का संग्रह बिंदास बंदर और बातूनी बारात प्रकाशित हुआ। हिंदुस्तान टाइम्स की नंदन पत्रिका में भी उनकी कहानियाँ छपी हैं। इंदु रांचन का झुकाव बच्चों की कथा-रचना में स्वाभाविक ही है। हिंदी व अंग्रेज़ी दोनों भाषाओं में लिखी बहुत सी कथाएँ अभी हस्तलेख रूप में ही हैं।
इनकी दो कृतियाँ— एक उपन्यास नो चाइल्डज़ प्ले और दूसरा कहानी-संग्रह फ़्रॉम द टैरस शीघ्र ही प्रकाशित हो पुस्तक रूप में आने वाली हैं।