2 नवंबर, 1920 को जगम्मनपुर, जिला जालौन (उ.प्र.) में जनमे श्री जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी वरिष्ठ लेखक एवं पत्रकार थे। बी.ए., एलएल.बी. करने के बाद वह पत्रकारिता की ओर उन्मुख हुए और ‘आज’, ‘हिंदुस्तान’, ‘नवभारत टाइम्स’, ‘दैनिक केसरी’, ‘पायनियर’, ‘स्वतंत्र भारत’, ‘आर्यवर्त’ और ‘देशबंधु’ जैसे प्रमुख पत्रों में कार्य किया। वह ‘लोकराज’ नामक पत्र के भी संपादक रहे।
श्री चतुर्वेदी ‘प्रेस ट्रस्ट ऑफ इंडिया’ के सलाहकार रहे और इससे पूर्व ‘समाचार भारती’ और ‘पीपल्स प्रेस ऑफ इंडिया’ जैसी संवाद समितियों से संबद्ध रहे। भारतीय श्रमजीवी पत्रकार संघ के वह संस्थापक महासचिव और अध्यक्ष भी रहे। वह पत्रकार आंदोलन में खूब सक्रिय रहे। वयोवृद्ध पत्रकार श्री बनारसीदास चतुर्वेदी के साथ उन्होंने पाक्षिक ‘मधुकर’ में काम किया था और उस समय उन्हें प्रवासी भारतवासियों की समस्याओं में रुचि जागी।
हिंदी, उर्दू तथा अंग्रेजी भाषा के जानकार श्री चतुर्वेदी एक अच्छे राजनीतिक टीकाकार थे। ऐतिहासिक विषयों पर उनकी कई पुस्तकें, यथा—‘चीनी विस्तारवाद के दो हज़ार वर्ष’, ‘हिंद महासागर और प्रवासी क्रांतिकारी’ प्रकाशित हैं।
प्रस्तुत पुस्तक श्री जगदीश प्रसाद चतुर्वेदी की अंतिम कृति है।