जौली अंकल का मानना है कि आज हर कोई दूसरों को सुधारने की बात करता है। यहाँ तक कि जो लोग चंद लाइनें भी ठीक से नहीं खींच सकते, वे समाज को बदलने का नक्शा बनाने का दावा करने लगे हैं; परंतु क्या कभी किसी ने इस बात को जानने का प्रयास किया है कि जब तक हमारे अपने मन का दीपक नहीं जलता, तब तक हम दूसरों के घरों को कैसे रोशन कर सकते हैं?
विषय चाहे कोई भी हो, जौली अंकल अपनी हर बात इतनी सरल भाषा में कहते हैं कि वे पाठकों के दिल पर सीधा सकारात्मक प्रभाव डालती है। उनका दावा है कि एक अच्छे लेखक को ऐसी भूमिका निभानी चाहिए, जिससे समाज में सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो सके। इसी के साथ वे नई पीढ़ी की जिम्मेदारियों के प्रति बहुत चिंतित हैं, क्योंकि वे मानते हैं कि आनेवाले समय का सारा उत्तरदायित्व युवा कंधों पर ही है। दूसरे लोग चाहे कुछ भी कहते रहें, परंतु जौली अंकल तो यही मानते हैं कि मानवजाति का भविष्य छोटी-छोटी बातों को बड़ी-बड़ी खुशियों में तबदील करके ही सँवारा जा सकता है।
जौली अंकल को अनेक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय सम्मानों/पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
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