न्यायमूर्ति शंभूनाथ श्रीवास्तव छत्तीसगढ़ के प्रमुख लोकायुक्त पद पर कार्यरत रहे। उनका मूल वास स्थान ग्राम— श्रीनगर, तहसील—बैरिया, जिला— बलिया (उ.प्र.) है। संपूर्ण शिक्षा प्रयाग में हुई। बी.ए., एम.ए. (अर्थशास्त्र), एल-एल.बी. इलाहाबाद विश्वविद्यालय से पूरी कर 1 सितंबर, 1968 से इलाहाबाद उच्च न्यायालय में वकालत प्रारंभ की। 1994 में उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के सदस्य चुने गए। 14 फरवरी, 2002 को माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद में स्थायी न्यायाधीश के रूप में नियुक्त हुए।
आपने अनेक ऐतिहासिक एवं दूरगामी न्याय-निर्णयों से भारतीय न्यायपालिका के क्षेत्र में उज्ज्वल कीर्तिमान स्थापित किया है। एक याचिका के निर्णय में उन्होंने श्रीमद्भगवद्गीता को राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित किया था। प्रमुख लोकायुक्त, छत्तीसगढ़ के रूप में लगभग 500 से अधिक फैसले हिंदी में ही लिखवाए। उनकी एक पुस्तक ‘क्या हिंदी और प्रादेशिक भाषाएँ न्यायालयों की भाषा हो सकती हैं’ प्रकाशित होकर बहुचर्चित हुई। उनका समग्र व्यक्तित्व एवं कृतित्व राष्ट्रसेवा को समर्पित रहा है।