श्री के.के. मुहम्मद भारतीय पुरातत्त्व सर्वेक्षण से क्षेत्रीय निदेशक (उत्तर) के रूप में सेवानिवृत्त हुए। उन्होंने इबादतखाना का उत्खनन करवाया, जिस सभागार में विभिन्न धर्मों की चर्चा होती थी। साथ ही, अकबर की ओर से बनवाए गए ईसाई चैपल तथा अन्य कई निर्माणों का उत्खनन भी करवाया, जो फतेहपुर सीकरी में दबे थे। बिहार में उन्होंने राजगीर के बौद्ध स्तूप तथा केसरिया स्तूप का उत्खनन करवाया, जिनसे इंडोनेशिया का बोरोबुदुर स्तूप प्रेरित था।
श्री मुहम्मद साहसिक संरक्षण कार्यों के लिए विख्यात हैं, जिन्होंने कई बार जोखिमों का सामना किया और नक्सलियों तथा डकैतों के कैंप में घुसने का खतरा तक उठाया। स्मारकों से जुड़े विषयों पर उन्होंने राजनीतिक दबाव तथा सभी प्रकार के राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के सामने झुकने से इनकार कर दिया।
एक सामाजिक कार्यकर्ता होने के नाते उन्होंने झुग्गी के बच्चों और प्रवासी मजदूरों के लिए कई स्कूल चलाए, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा और मिशेल ओबामा की लगातार प्रशंसा भी मिली। दिल्ली में प्रतिकृति संग्रहालय (रेप्लिका म्यूजियम) की अवधारणा तैयार करने और उसे लागू करने के साथ ही उन्होंने खुद को लीक से हटकर सोचनेवाला प्रमाणित किया।
श्री मुहम्मद को तीन अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार, छह राष्ट्रीय पुरस्कार तथा तीन जन पुरस्कार मिल चुके हैं।