जन्म एटा जिले के जलालपुर गाँव में 10 जनवरी, 1949 को हुआ। एटा के जीआईसी से इंटरमीडिएट करने के तुरंत बाद सन् 1966 में रुड़की विश्वविद्यालय के मेटलर्जिकल इंजीनियरिंग के छात्र बने और ग्रैजुएशन के बाद आईआईटी कानपुर से एम.टैक. किया। सन् 1973 में बतौर इंजीनियर बोकारो स्टील प्लांट में नौकरी शुरू की। सन् 1981 में रेलवे की नौकरी में आए और विभिन्न पदों पर रहते हुए जनवरी 2009 में आरडीएसओ लखनऊ से कार्यकारी निदेशक पद से रिटायर हुए। संप्रति लखनऊ में रहते हुए लखनऊ आई सेंटर में सीईओ के पद पर कार्यरत हैं।हिंदी में लेखन की रुचि छात्र जीवन से ही रही। इक्का-दुक्का रचनाएँ कॉलेज की पत्रिका में छपती रहीं। इसी अभिरुचि के चलते सन् 1985 में पहिया। धुरा कारखाने में राजभाषा विभाग में सचिव का अतिरिक्त कार्यभार सँभाला और दक्षिण भारतीय स्टाफ में हिंदी के प्रति रुचि जाग्रत् करने हेतु सन् 1987 में अखिल भारतीय रेल मंत्री पुरस्कार मिला।रिटायरमेंट के बाद हिंदी लेखन को रचनात्मक धार मिली। फेसबुक पर लेख और कहानियाँ छपीं तो पाठकों की प्रतिक्रियाओं ने उत्साहवर्धन किया। एक कहानी-संग्रह 'बरगद काट दो' प्रकाशित होकर बहुचॢचत।