प्रेमचंद के जीवन, साहित्य, विचार तथा उनकी पांडुलिपियों के अध्ययन, अनुसंधान और आलोचना एवं उनकी सैकड़ों पृष्ठों की अज्ञान-दुर्लभ सामग्री को खोजने एवं प्रकाशित कराने में आधी शताब्दी अर्पित करनेवाले, इनके संबंध में सर्वथा नवीन अवधारणाओं के प्रतिपादक तथा उनकी भारतीयवादी समग्र मूर्ति के अन्वेषक-स्थापक तथा देश-विदेश में ‘प्रेमचंद स्कॉलर’ के रूप में विख्यात; प्रेमचंद पर 30 तथा अन्य हिंदी लेखकों पर 27 पुस्तकें प्रकाशित; कुछ प्रमुख पुस्तकें; ‘प्रेमचंद के उपन्यासों का शिल्प-विधान’, ‘प्रेमचंद : विश्वकोश’ (दो खंड), ‘प्रेमचंद : अध्ययन की नई दिशाएँ’, ‘प्रेमचंद : चित्रात्मक जीवनी’, ‘प्रेमचंद का अप्राप्य साहित्य’ (दो खंड), ‘प्रेमचंद : अनछुए प्रसंग’, ‘प्रेमचंद : वाद, प्रतिवाद और संवाद’, ‘प्रेमचंद : कहानी रचनावली’ (6 खंड), ‘प्रेमचंद की कहानियों का कालक्रमानुसार अध्ययन’ (के.के. बिड़ला फाउंडेशन के ‘व्यास सम्मान-2014’ से सम्मानित), ‘गांधी : पत्रकारिता के प्रतिमान’, ‘हिंदी का प्रवासी साहित्य’, ‘प्रवासी साहित्य : जोहान्सबर्ग के आगे’, ‘बालशौरि रेड्डी कथा रचनावली’ (4 खंड), ‘रवींद्रनाथ त्यागी रचनावली’ (6 खंड प्रेस में), केंद्रीय हिंदी संस्थान, आगरा (मानव संसाधन विकास मंत्रालय, भारत सरकार) के उपाध्यक्ष, दिल्ली विश्वविद्यालय से सेवानिवृत्ति के बाद साहित्य-साधना में संलग्न।