भारतीय नौसेना में कैप्टन नूर के नाम से प्रसिद्ध ख़ुर्रम शहज़ाद नूर नौसेना की शिक्षा शाखा में रहते हुए पनडुब्बी-रोधी युद्ध शैली के महाप्रशिक्षक हैं। नौसेना मुख्यालय में निदेशक रहने के बाद संप्रति सैनिक स्कूल, भुवनेश्वर में प्राचार्य हैं।बचपन से ही साहित्य सृजन में रुचि रही; हिंदी-अंग्रेजी में कविता तथा हिंदी में कहानियाँ लिखते रहे हैं। अंग्रेजी कविताओं का संकलन ‘Nostalgia’ शीर्षक से प्रकाशित।
शिक्षा के क्षेत्र में सराहनीय योगदान के लिए उड़ीसा राज्य सरकार द्वारा ‘राजीव गांधी सद्भावना पुरस्कार’ से सम्मानित। नौसेना अध्यक्ष एवं कमांडर इन चीफ दोनों से ही नौसेना में अपनी सेवाओं के लिए प्रशंसा मेडल प्राप्त कर चुके हैं।‘सोलह आने सच’ इनका पहला कहानी संग्रह है। हिंदी/उर्दू की गजलों और नज्मों का एक संकलन शीघ्र प्रकाश्य। संप्रति कैप्टन ख़ुर्रम शहज़ाद नूर अपनी आत्मकथा पर आधारित अंग्रेजी उपन्यास ‘32 Kilometers’ पर कार्य कर रहे हैं।