(9 Nov., 1931 – 6 Oct., 2007)
A world citizen, a scholar-statesman, a prolific author, poet, linguist and litterateur, an eminent jurist, a doyen of the Indian Bar, UN Special Rapporteur and a world authority on Judicial Independence, a distinguished diplomat and a prominent parliamentarian, Dr. Singhvi was a votary and an exponent of the heritage of India, a world leader in the movement for Culture of Peace, interfaith tolerance and amity, and Human Rights.
He received the highest acclaim in the form of degrees of LL.D. and D. Litt. Honoris Causa from leading universities in India and abroad. He was made an Honorary Bencher and Master of the Middle Temple in 1987. He had the rare distinction of being appointed to the ancient Rede Chair which was established in 1524 in Cambridge University.
Dr. Singhvi was elected to Lok Sabha in 1962 and to Rajya Sabha in 1998.
Dr. Singhvi was elected a President of the Centennial Parliament of World’s Religions held in Chicago in 1993. He led the Indian delegations to the UN Conference on Human Rights in Vienna in 1993 and the UNESCO Conference on Culture of Peace in Stockholm in 1998. Dr. Singhvi was elected to the International Court of Arbitration at The Hague in 2000. Dr. Singhvi was High Commissioner for India in the United Kingdom for seven years with the rank of cabinet minister. Awarded Padma Bhushan in 1998. Dr. Singhvi was Life Trustee and President of various social, cultural and literary organisations of repute. He authored several monographs and books in English and Hindi.
डॉ. लक्ष्मीमल्ल सिंघवी भारत के अग्रणी संविधान विशेषज्ञ, लेखक, कवि, संपादक, भाषाविद् और साहित्यकार हैं । भारत के विभिन्न विश्वविद्यालयों और अमेरिका के हॉर्वर्ड, कॉर्नेल तथा बर्कले विश्वविद्यालयों से पढ़ने-पढ़ाने के लिए संबद्ध रहे । अनेक भारतीय तथा विदेशी विश्वविद्यालयों द्वारा सर्वोच्च मानद उपाधियों से अलंकृत । ' न्यायवाचस्पति ', ' साहित्यवाचस्पति ' इत्यादि मानद उपलब्धियों से भी समलंकृत । वर्ष 1974 में कलकत्ता विश्वविद्यालय द्वारा मानद टैगोर विधि प्रोफेसर के रूप में चयन ।
लगभग 70 पुस्तकों की रचना या संपादन किया, जिनमें प्रमुख हैं-' जैन टेंपल्स इन ऐंड अराउंड द वर्ल्ड ', ' डेमोक्रेसी एंड रूल ऑफ लॉ ', ' टुवर्ड्स ग्लोबल टुगेदरनेस ', ' टुवर्ड्स ए न्यू ग्लोबल ऑर्डर ', ' ए टेल ऑफ श्री सिटीज ', ' फ्रीडम ऑन ट्रायल ', ' भारत और हमारा समय ', ' संध्या का सूरज ' ( कविताएँ) आदि ।
1998 में प्रतिष्ठित ' पद्म विभूषण ' से सम्मानित । सन् 1991 से 1998 तक यूनाइटेड किंगडम में भारत के उच्चायुक्त रहे । रोटरी इंटरनेशनल के ' एंबेसेडर ऑफ एक्सीलेंस पुरस्कार ' तथा न्यूयॉर्क में संयुक्त राष्ट्र संघ के महामंत्री यू थांट के नाम से स्थापित ' शांति पुरस्कार ' से सम्मानित । हेग में स्थायी विवाचन न्यायालय के न्यायमूर्ति ।
वर्ष 1962 में जोधपुर संसदीय क्षेत्र से निर्दलीय चुने गए । 1998 से 2004 तक राज्यसभा के सदस्य रहे ।
भारतीय विद्या भवन इंटरनेशनल, इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स तथा इंडिया इंटरनेशनल सेंटर के पूर्व अध्यक्ष । जमनालाल बजाज एवं ज्ञानपीठ पुरस्कारों के प्रवर मंडलों तथा गांधीजी द्वारा स्थापित सस्ता साहित्य मंडल के अध्यक्ष । 1200 से अधिक राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय सामाजिक-सांस्कृतिक संस्थाओं के संरक्षक-संस्थापक ।
संप्रति : ' साहित्य अमृत ' मासिक के संपादक ।