मधु खरे का जन्म और शिक्षा-दीक्षा दिल्ली में हुई । वास्तुशास्त्र में उनकी अभिरुचि प्रारंभ से ही थी, जिसने शीघ्र ही विशेषज्ञता का रूप ले लिया ।
पति के सेना में कार्यरत रहने के कारण उन्हें भारत के कोने-कोने में-अनेक स्थानों पर-रहने का अवसर प्राप्त हुआ । उन्होंने न केवल अपने घर का बल्कि अलग- अलग शहरों में दूसरों के घरों का भी सूक्ष्मता से पर्यवेक्षण किया । समय के साथ उनकी अभिरुचि उनका व्यवसाय बन गया । इस विषय पर कई पुस्तकों के गहन अध्ययन और व्यावहारिक अनुभवों ने उन्हें वास्तु विशेषज्ञ बना दिया । प्रस्तुत पुस्तक पिछले दो दशकों के उनके वास्तु परामर्शो का परिणाम है ।