Mohandas Karamchand Gandhi, better known as Bapu or Mahatma Gandhi, was born on 2nd October, 1869 at Porbandar in Gujarat.
Gandhiji studied law in England, returned to India in 1915, and came in the contact with a popular Indian National Congress leader Gopal Krishna Gokhale who was fighting for the rights of the common people through the Indian National Congress. In 1917 and 1918, Gandhiji held Satyagraha in Champaran and Kheda to oppose the farming of blue dye and other non-edible items, as well as other discriminatory rules against the farmers. He laid emphasis on non-violence and truth, and started the Non-cooperation Movement. He asked the Indians to boycott the foreign goods and adopt indigenous goods. Gandhiji grew to be the most popular leader in the country. In 1930, he undertook the historic Dandi March to violate the Salt Law which was imposed by the British rulers.
Gandhiji was given the title of ‘Mahatma’ because of his universal acceptability.
2 अक्तूबर, 1869 को गुजरात के पोरबंदर में जनमे मोहनदास करमचंद गांधी विदेश में उच्च शिक्षा प्राप्त कर बैरिस्टर बने। उन्होंने भारत को स्वतंत्र कराने के लिए आजादी की लड़ाई में सत्याग्रह और अहिंसा को अपना अस्त्र बनाया।
गांधीजी ने अपने दक्षिण अफ्रीका प्रवास में ‘फीनिक्स’ आश्रम की स्थापना की तथा वहाँ से ‘इंडियन ओपिनियन’ अखबार निकाला। स्वदेश लौटकर आजादी की लड़ाई के पथ-प्रदर्शन बने। उन्होंने ‘हरिजन’ सहित कई समाचार-पत्रों का संपादन किया तथा अनेक पुस्तकें लिखीं। बापू ने ‘सत्याग्रह’, ‘सविनय अवज्ञा’, ‘असहयोग आंदोलन’ तथा ‘अंग्रेजो, भारत छोड़ो’ आंदोलनों का नेतृत्व कर भारत को स्वतंत्र कराया।
समाज-सुधारक और विचारक के रूप में भी उनका योगदान अनुपम है। जातिवाद, छुआछूत, परदा-प्रथा, बहु-विवाह, विधवाओं की दुर्दशा, नशाखोरी और सांप्रदायिक भेदभाव जैसी अनेक सामाजिक बुराइयों के सुधार हेतु रचनात्मक संघर्ष किया और राष्ट्रीय एकता के लिए हिंदी को ‘राष्ट्रभाषा’ घोषित किया।
स्मृतिशेष : 30 जनवरी, 1948।